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यहाँ छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में , हाईकोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख ; पढ़े

मान्यवर:-मैनपुरी के नवोदय विद्यालय में छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। डीजीपी मुकुल गोयल को बृहस्पतिवार को दोबारा जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही मैनपुरी के तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। इस निर्देश के बाद शासन ने मैनपुरी के तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश सिंह तृतीय और पुलिस उपाधीक्षक प्रयांक जैन को निलंबित कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि मामले को न्यायालय द्वारा गंभीरता से लेने और दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि मामले की जानकारी डीजीपी को नहीं दी जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी और एसआईटी के सदस्य जांच करने में पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई के बारे में स्पष्ट करने के लिए अदालत में उपस्थित रहेंगे और आगे यह भी बताएंगे कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मैनपुरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई उनकी सेवानिवृत्ति से पहले क्यों नहीं पूरी की जा सकी।

जबकि वह छह महीने पहले सेवानृवित्त हो चुके हैं। डीजीपी मुकुल गोयल से कोर्ट ने इस मामले से जुड़े कई सवाल किए। कोर्ट ने अभियुक्तों का बयान लेकर छोड़ देने और उनकी गिरफ्तारी नहीं करने को गंभीरता से लिया। सुनवाई की शुरुआत में छात्रा की फांसी के बाद हुए शव के पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखने के बाद कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि किसी के भी खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने पर पहला काम क्या करते हैं? डीजीपी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी।

फिर कोर्ट ने पूछा कि इतने गंभीर मामले में पुलिस ने आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया? क्या आपने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी है? डीजीपी का जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने कहा कि हम आपको बताते हैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों? इस पर डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि फिर से एसआईटी गठित कर देते हैं।

कोर्ट में मौजूद जांच अधिकारी आरोपी से पूछताछ में हुई देरी के बारे में कुछ नहीं बता सके थे। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह अंतराल आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोपों के बावजूद हुआ, जो गंभीर चूक है। इसके बाद कोर्ट ने डीजीपी को आज तलब किया था। हालांकि उस दिन कोर्ट को यह भी बताया गया था कि मामले में 12 लोगों का नार्को टेस्ट हुआ लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। डेढ़ सौ लोगों के स्पर्म टेस्ट हुए लेकिन कोई मैच नहीं हुआ। 500 लोगों के कॉल डिटेल ट्रेस हुए, वह भी बेकार गया।