जम्मू(सुरेश सैनी):-भारतीय सेना जम्मू कश्मीर के गोलाबारी प्रभावित इलाकों में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के साथ सीमांत बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने की दिशा में भी लगातार काम कर रही है। जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में पाकिस्तान की गोलाबारी का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं पर हुआ है।
ऐसे में सेना की उत्तरी कमान दूरदराज इलाकाें में सबसे अधिक ध्यान स्वास्थ्य सुविधाओं व बेहतर शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाने पर केंद्रित कर रही है। दूरदराज इलाकों में बच्चों के लिए आर्मी गुडविल स्कूल खोलने वाली सेना सीमा से सटे इलाकों के बच्चों को पढ़ाई के लिए अन्य राज्यों में भी भेज रही है।
इस समय कश्मीर के कुपवाड़ा में सीमा से सटे इलाकों के आठ बच्चे बेहतर शिक्षा हासिल करने के लिए पुणे जाने की तैयारी कर रहे हैं। सेना ने इन बच्चों को असीम फाउंडेशन के सहयोग से चलाई गई एक मुहिम के दौरान चुना है। ये प्रतिभाशाली बच्चे कश्मीर में पाकिस्तानी गोलाबारी का निशाना बनने वाले गुरेज, तंगदार, केरन व मच्छल इलाकों के रहने वाले हैं।
सीमावर्ती इलाकों से चुने गए इन आठ बच्चों में तंगदार की फाजदा मुश्ताक, महक अब्दुल गनी, गुरसिमरण सिंह, अरसलान अहमद व हसीब मुश्ताक शामिल हैं। उनके साथ गुरेज के आदिल अकबर लोन, केरन के मोहम्मद आसिफ खताना व मच्छल के आमिर खान भी पुणे में शिक्षा हासिल करने के लिए चुने गए हैं। सेना की ओर से इन बच्चों को सम्मानित किया गया है।
असीम फांउंडेशन इसी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन अन्य सीमांत क्षेत्रों के बच्चों के लिए भी करने जा रही है। फाउंडेशन इस समय जम्मू कश्मीर व लद्दाख में वाटर एटीएम भी लगा रही है। वहीं बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के प्रयास करने के साथ सेना उड़ी में सीमांत युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण भी दे रही है। युवाओं द्वारा सेना के ऐसे कार्यक्रम में पूरी दिलचस्पी दिखाई जा रही है।