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गाजियाबाद में अवैध निर्माण पर जीडीए की सख्त कार्रवाई

मान्यवर:-गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध रूप से बनाई गई बिल्डिंगों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है | अब तक जीडीए द्वारा दो दर्जन से ज्यादा इमारतों को सील कर दिया गया है | जिससे अवैध निर्माण करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है | हालांकि, जीडीए की इस कार्रवाई के पीछे शासन की सरल शमन योजना है | जिसके माध्यम से जीडीए का मकसद अपना राजस्व बढ़ाना है | जीडीए अधिकारियों की मानें तो शासन के निर्देश पर सीलिंग की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है | अगर बात करें, इंदिरापुरम, साहिबाबाद गाजियाबाद सिटी के क्षेत्रों में बड़ी बड़ी ऊंची ऊंची इमारतें बनकर तैयार हो जाती हैं | जब यह बन रही होती हैं, तो जीडीए के कर्मचारी इन पर ध्यान नहीं देते हैं |

लेकिन बाद में सीलिंग के नाम पर कार्रवाई दिखाते हैं |अगर बात करें जीडीए ने सीलिंग की लेकिन सीलिंग को हटाकर यह लोग निर्माण कार्य करते रहते हैं, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की कार्रवाई को लेकर जीडीए सचिव संतोष राय ने बताया कि, प्राधिकरण लगातार कार्रवाई कर रहा है | लगभग 300 ऐसी इमारतें हैं जिन पर जीडीए ने कार्रवाई की है | जीडीए अपनी कार्रवाई करता रहता है, नोटिस भी देता रहता है | इमारतों में जो खामियां नजर आती हैं, जीडीए लगातार कार्रवाई करता है | रही बात जीडीएस सीलिंग के बाद कुछ बिल्डिंग में कार्य चलता है इसको लेकर उन पर मुकदमा भी पंजीकृत कराया जाता है और इसमें जो भी अधिकारी लिप्त मिलते हैं, उन पर भी कार्रवाई की जाती है |

जीडीए को इस अभियान से अब तक करोड़ों रुपए की आय हो चुकी है | बिना नक्शा पास कराए या नक्शे के विपरीत बनाए गए भवनों को जीडीए द्वारा लगातार नोटिस जारी किए जा रहे हैं और सीलिंग की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है | नतीजा यह है कि, करोड़ों रुपए लगाकर बिल्डिंग खड़ी कर चुके लोगों में अब हड़कंप मचा हुआ, लेकिन जीडीए के इस अभियान पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं | सवाल यह है कि, आखिर अवैध निर्माण के समय जीडीए का सचल दस्ता कहां चला जाता है, और अधिकारियों की आंखें क्यों बंद हो जाती है | तो इसका सीधा सीधा मतलब यह है कि नोटों की गड्डियां पहुंचने के बाद अधिकारी गांधीजी के तीन बंदरों की तरह हो जाते हैं, जिन्हें ना कुछ सुनाई देता है, ना दिखाई देता है और वह बोलने की स्थिति में भी नहीं रहते |