जालंधर (ब्यूरो): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) ने परीक्षा के पैटर्न में बदलाव किया है। यह बदलाव दो विषयों शारीरिक शिक्षा एवं खेल के प्रैक्टिकल के अंक ज्यादा और लिखित परीक्षा के अंक कम होते थे उनमें बदलाव किया है। अब इन्हें उलट कर दिया गया है। अब लिखित परीक्षा के अंक ज्यादा होंगे और प्रैक्टिकल के अंक कम होंगे। शिक्षा बोर्ड के इस फैसले से उन छात्र-छात्रों को काफी राहत मिलेगी जो पढ़ने लिखने में तो अच्छे होने के कारण लिखित परीक्षा को पूरी तन्मयता से दे देते थे लेकिन खेल और शारीरिक शिक्षा के प्रैक्टिकल के दौरान ग्राउंड पर परफॉर्म नहीं कर पाते थे। इससे उनके प्रैक्टिकल के अंक कम हो जाते थे और ओवरऑल प्रतिशतता पर भी प्रभावित होती थी। स्कूलों को आदेश जारी पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने अपने नए पैटर्न में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के दोनों विषयों के अंक विभाजन में बदलाव किया है। अब दोनों विषयों में लिखित परीक्षा के अंक प्रैक्टिकल विषय से अधिक होंगे। पीएसईबी ने इस संबंध में सभी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को कहा गया कि वह इस बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करें।
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने जो स्कूलों को पत्र जारी किया है उसमें साफ तौर लिखा है कि नया पैटर्न इस शैक्षणिक सत्र से नहीं बल्कि अगले 2022-23 के सत्र से लागू होगा। बोर्ड की तरफ से 9वीं और 10वीं सेहत एवं शारीरिक शिक्षा लिखित परीक्षा पहले 20, प्रैक्टिकल विषय के 70 और 10 अंक आईएनए (इंटरनल असेसमेंट) के होते थे। अब लिखित परीक्षा के 50 अंक, प्रैक्टिकल विषय के 40 अंक और आईएनए के 10 अंक रहेंगे। कक्षा 11वीं और 12वीं के शारीरिक शिक्षा और खेल विषय की लिखित परीक्षा पहले 20 अंक, प्रैक्टिकल 70 अंक और आईएनए के 10 अंक होते थे। अब लिखित परीक्षा 50 अंक की होगी, प्रैक्टिकल विषय के 40 अंक और आईएनए के 10 अंक रहेंगे।
आठ लाख स्टूडेंट भाग लेते
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि दोनों विषयों जिसमें हर साल करीब आठ लाख स्टूडेंट भाग लेते हैं का पैटर्न बदलने पर कई स्तर पर पहले चिंतन मंथन हुआ। उसके बाद पैटर्न में बदलाव किया गया है। पैटर्न बदलने के दौरान यह भी बहस चली थी कि जिन विषयों के प्रैक्टिकल अंक ज्यादा हैं वह बेसिकली वह विषय जुड़े ही प्रैक्टिकल शिक्षा से हैं।
विशेषज्ञों से राय के बाद लिया फैसला
उसमें लिखित का इतना ज्यादा योगदान नहीं है जितना की प्रैक्टिकल का होता है। अब खेल के बारे में लिखने से ज्यादा ग्राउंड में उसकी परफॉर्मेंस जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञों से राय के बाद बोर्ड ने परीक्षा में प्रैक्टिकल से ज्यादा लिखित परीक्षा के अंक रखने का फैसला लिया।