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पंजाब निर्माण प्रोग्राम की ग्रांट में गोलमाल की आशंका, विकास कार्यों के लिए जारी हुए थे 135 करोड़, 125 करोड़ का हिसाब नहीं मिला

जालंधर (ब्यूरो): जिले में विकास कार्यों को अभी फंड्स से जूझना पड़ सकता है। कारण-सरकार ने पिछले साल में जारी हुए पंजाब निर्माण प्रोग्राम के अधीन फंड का हिसाब देने के लिए कहा है। इसके बावजूद फंड का हिसाब एजेंसियों की तरफ नहीं दिया जा रहा। जिला प्रशासन की नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि पंजाब निर्माण प्रोग्राम 2021-22 के तहत 135.57 करोड़ रुपए अलॉट हुए थे जो शहरी और देहात के क्षेत्र में एजेंसियों को बांटे गए। अभी तक 125 करोड़ कहां पर खर्च हुए इसका कोई पता नहीं चल पा रहा। जबकि एजेंसियां ग्रांट के पैसों से काम चलने का दावा कर रही हैं। इसके चलते यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) भी जमा नहीं करवाए जा रहे। वहीं, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी ग्रांटों के पैसों का पहले हिसाब दो और इस्तेमाल नहीं हुआ पैसा वापस करो। इसके चलते अफसरों की धड़कनें तेज हो गई हैं। वह दिमागी गणित के घोड़े दौड़ा रहे हैं, पर मैदान साफ नजर नहीं आ रहा, यानी 125 करोड़ कहां खर्च हुए और कितना पैसा बचा, इसका प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है।

लोहियां, मेहतपुर व आदमपुर में 13 करोड़ से ज्यादा के काम शुरू ही नहीं, जिला प्रशासनिक कॉम्प्लेक्स में 2 दिन पहले अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) वरिंदरपाल सिंह बाजवा ने शहरी और देहात के अधिकारियों के साथ मीटिंग में विकास कार्यों की समीक्षा की। अधिकारियों की तरफ से तर्क दिया था कि ग्रांट के कार्य चल रहे हैं। जबकि रिपोर्ट के अनुसार 135 करोड़ के 5509 में से 2608 काम रद हो चुके हैं। इनके टेंडर नहीं लगे या अन्य कारण था। इसके साथ चौंकाने वाली बात यह भी है कि लोहियां खास में 173 काम के 5 करोड़, मेहतपुर में 152 के 3.87 करोड़ और आदमपुर में 99 के 4.31 करोड़ दिए थे। इनमें से कोई भी रद नहीं हुआ, फिर भी चल नहीं रहे हैं। उधर, प्रोग्राम के अधीन शहर और देहात में अलग-अलग नोडल एजेंसियों को काम अलॉट किए गए थे। जिला प्रशासन ने एजेंसियों को समय पर पैसे जारी किए। बैठकों में एजेंसियों के अधिकारी काम जारी होने का तर्क दे रहे हैं। दूसरी तरफ, सरकार पैसों का हिसाब मांग रही है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अगर काम पूरा हो चुका है तो यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (यूसी) के रूप में हिसाब दें लेकिन नगर निगम, पीएसपीसीएल, पीडब्ल्यूडी, सीवरेज बोर्ड और कौंसिल की ओर से देरी की जा रही है।

शहर में 60 और देहात में 75 करोड़ जारी: रिपोर्ट के अनुसार शहर में 1328 काम के लिए 60.33 करोड़ और देहात में 4181 काम के 75.23 करोड़ जारी हुए थे। शहर और देहात से प्रशासन के पास अब तक 2278 काम के 10.41 करोड़ रुपए के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पहुंच चुके हैं। 3232 काम के कुल 125.16 करोड़ के सर्टिफिकेट पेंडिंग हैं। दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट दाखिल होने के बाद कई ब्लॉकों की सोसायटियों और एरिया की मुश्किलें बढ़ेंगी क्योंकि कहीं पैसों का हिसाब नहीं मिल पा रहा है। वहीं, एडीसी वरिंदरपाल सिंह बाजवा का कहना है कि रिपोर्ट जल्द से जल्द दाखिल करने के लिए कहा गया है। इसके बाद रिपोर्ट चंडीगढ़ भेज दी जाएगी।