जालंधर (ब्यूरो): श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हिंदू, सिख भाईचारे के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर बंटवारे के दौरान जान गंवाने वालों को भी याद करें। उन्होंने कहा कि बंटवारे का सबसे अधिक असर सिख, हिंदू व मुस्लमानों को भुगतना पड़ा है। कई हिंदू-सिख परिवारों को पाकिस्तान से भारत आना पड़ा तो कई पंजाबी मुस्लमानों को पाक जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसी के चलते 10 से 16 अगस्त तक उन्हें याद किया जाए, जिन्होंने बंटवारे के दौरान बच्चों और बुजुर्गों को मौत के घाट उतरते हुए देखा है। उन्होंने सिख भाईचारे के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह इन दिनों में 10 मिनट मूल मंत्र जपजी साहिब का पाठ करते हुए भजन सिमरन करे। साथ ही 16 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब पर सुबह 9 बजे बंटवारे के दौरान जाने गंवाने वाले लोगों की आत्मिक शांति के लिए अरदास की जाएगी। उन्होंने भारी संख्या में लोगों को इस अरदास समागम में पहुंचने की अपील की।
उन्होंने हिंदू भाईचारे के लोगों से भी अपील की है कि वह भी मंदिरों में 10 से 16 अगस्त तक अपने बड़े बुजुर्गों की आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना करे। उन्होंने कहा कि 10 अगस्त 1947 से लेकर 16 अगस्त 1947 तक देश के बंटवारे को लेकर सियासी नेताओं की सांप्रदायिकता सोच के कारण सांझे पंजाब के जहां दो टुकड़े हुए, वहीं लाखों सिख हिंदुओं को सांप्रदायिकता की आग में झुलसना पड़ा। लाखों परिवारों को उजड़ना पड़ा।मजहब के जुनून में अंधी भीड़ ने ऐसा कोहराम मचाया कि हर तरफ खून की नदियां बह रही थी। 10 लाख के करीब पंजाबी हिंदू व सिख, मुस्लमान इस बंटवारे में मारे गए। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश जहां आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, वहीं उन्हें भी हमें याद करना चाहिए।