जालंधर(ब्यूरो): सुखबीर बादल ने शिरोमणि अकाली दल (बादल) का पूरा संगठन भंग कर दिया है। अकाली दल की सभी ईकाईयां, कोर कमेटी, ऑफिस पदाधिकारियों के साथ सभी विंग भी भंग किए गए हैं। यह फैसला अकाली दल में लीडरशिप को लेकर बढ़ती बगावत के बाद उठाया गया है। पहले MLA मनप्रीत अयाली ने लीडरशिप पर सवाल उठाए।
उसके बाद सीनियर नेता और कोर कमेटी मेंबर प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी नाराज हो गए थे। देर रात सुखबीर बादल ने संगठनत्माक ढांचा भंग करने का ऐलान कर दिया। इससे पहले सुखबीर चंदूमाजरा को मनाने भी गए। जिन्होंने झूंदा कमेटी रिपोर्ट को प्रधान की मौजूदगी में कोर कमेटी में रखने पर सवाल खड़े किए थे।
झूंदा कमेटी के सुझाव माने, अकाली दल के मुताबिक चुनावी हार के मंथन के लिए वरिष्ठ नेता इकबाल झूंदा की अगुआई में पोल रिव्यू कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी के सुझाव पर ही संगठनात्मक ढांचा भंग कर दिया गया। अकाली दल ने पंजाब में 2007 से 2017 तक सरकार चलाई। उसके बाद के 2 विधानसभा चुनावों में करारी हार झेलनी पड़ी। 2022 में तो अकाली दल सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गया। यही नहीं, 5 बार के CM प्रकाश सिंह बादल, प्रधान सुखबीर बादल समेत सभी दिग्गज हार गए।
MLA अयाली ने राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार किया,अकाली दल में बगावत की शुरूआत पंजाब विधानसभा में पार्टी नेता MLA मनप्रीत अयाली से हुई। उन्होंने पार्टी के फैसले का विरोध करते हुए BJP समर्थित NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मु को वोट नहीं दिया। अयाली ने राष्ट्रपति चुनाव का बहिष्कार कर दिया। अयाली ने कहा कि बिना सिख, पंजाब और अन्य मसलों पर कोई भरोसा लिए यह समर्थन दिया गया। इसके बाद वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा कोर कमेटी की मीटिंग में नहीं आए। उन्होंने झूंदा कमेटी की रिपोर्ट सीधे कोर कमेटी में पेश करने पर सवाल खड़े किए। चंदूमाजरा का कहना था कि इसे पहले समीक्षा कमेटी में रखा जाना चाहिए था।