मान्यवर आर्थिक संकट झेल रहे पंजाब इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंस की गवर्निंग बॉडी की 37वीं बैठक 6 साल बाद हुई। बैठक में एजेंडे के रूप में आया पिम्स घोर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वह पहले जांच करवाएंगे।
इतना ज्यादा फंड मिलने के बावजूद इंस्टिट्यूट आर्थिक संकट में कैसे आ सकता है। उन्होंने कहा कि वह फंड्स का दुरुपयोग करने वालों की भी जांच करवाएंगे। जो-जो भी पैसे को दुरुपयोग या भ्रष्टाचार में शामिल पाए जाएंगे, सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर गवर्निंग बॉडी की बैठक में हैरानी भी जताई कि यह बैठक 6 साल बाद होने जा रही है। 6 साल तक किसी को याद ही नहीं आया कि आर्थिक संकट से इंस्टिट्यूट को कैसे बाहर निकाला जाए। इसलिए भ्रष्टाचार की बू आती है।
उन्होंने कहा कि यह जो छह साल का समय बैठक होने में लगा है, इसमें भी भ्रष्टाचार की बू आती है। उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो लोग भी गबन-भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा, सभी पर गाज गिरेगी।
मुख्यमंत्री ने बैठक में लताड़ लगाते हुए कहा कि पिम्स में हुए भ्रष्टाचार, जिसकी वजह से यह संस्थान संकट में आ गया है, में सरकार जांच के बाद जिम्मेदारी भी तय करेगी कि यह किसकी वजह से हुआ है। उसके खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।
जांच का यह सारा काम समयबद्ध आधार पर निष्पक्षता और पारदर्शिता से करवाया जाएगा। अब समय आ गया है कि उन सभी के विरूद्ध निर्णायक कारर्वाई की जाए, जो पैसों का दुरुपयोग करने में जि़म्मेदार हैं, जिससे संस्था में गंभीर वित्तीय संकट पैदा हुआ।
उन्होंने गवर्निंग बॉडी की बैठक में आश्वासन भी दिया कि इस संस्थान को पुनः अपने पावों पर खड़ा करने में सहयोग देंगे। यह दोआबा क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जिसे कुछ घोटालेबाजों ने बदनाम कर दिया है। इसकी प्रतिष्ठा को फिर बहाल करने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी। यहां पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि पिम्स की वित्तीय हालत पिछले करीब आठ सालों से डांवाडोल है। पिछले आठ साल में पिम्स प्रबंधन ने एमओयू की शर्तों के अनुसार 60 करोड़ जमा करवाना था लेकिन प्रबंधन सिर्फ छह करोड़ ही अभी तक जमा करवा पाया है। बता दें कि पिम्स का प्रबंधन पीपीपी मोड यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप पर है। पिम्स को एक चैरिटेबल सोसाइटी चला रही है। सोसाइटी के स्थानीय निदेशक डाक्टर अमित ने माना कि सोसाइटी घाटे में चल रही है। इंस्टीट्यूट के खर्च निकालने मुश्किल हो रहे हैं। उनसे बैठक में क्या हुआ को बारे में पूछने पर कहा कि वह बैठक में मौजूद नहीं थे।