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Apeejay College ऑफ फाइन आर्ट्स, जालंधर ने एपीजे की प्रथम महिला को श्रद्धांजलि दी शिक्षा श्रीमती। राजेश्वरी पॉल जी की 10वीं पुण्यतिथि पर।

मान्यवर एसीएफए की स्थापना के पीछे की प्रेरणा को याद करते हुए प्राचार्य डॉ. नीरजा ढींगरा ने कहा कि वह खुद एक प्रख्यात कथक नृत्यांगना और प्रशंसक थीं

कला और भारत की लंबाई और चौड़ाई में इसे फैलाने की दृष्टि थी। यह सपना उनकी पूर्ति हमारे संस्थापक अध्यक्ष सत्य पॉल जी ने के रूप में की थी

राजेश्वरी कला संगम जो आज फल-फूल रहा है और नाम कमा रहा है एसीएफए की। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज नाम राजेश्वरी सीमाओं के पार पहुंच गया है और
महासागर के। इस अवसर पर संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने मनमोहक भजन गाए।