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आज आएगी BJP की पंजाब उम्मीदवार सूची सीटों पर गतिरोध दूर; मैराथन मंथन के बाद कैप्टन से फंसा पेंच क्लीयर, बैंस बंधु गठबंधन से बाहर

मान्यवर: भारतीय जनता पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने गहन मंथन के बाद पंजाब चुनाव उम्मीदवारों की फाइनल सूची पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय चुनाव समिति ने भी सूची को हरी झंडी दे दी है।

अब इसकी सिर्फ औपचारिक घोषणा शेष रह गई है, जो आज संभव हो सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, 10 सीटों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जो पेंच फंसा था, वह क्लीयर हो गया है। सभी सीटों पर भाजपा, लोक पंजाब कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के बीच सहमति बन गई है। जबकि बैंस बंधु गठबंधन से बाहर हो गए हैं।

भाजपा ने अपने 70 प्रत्याशियों को पंजाब विधानसभा चुनाव के दंगल में उतारने का मन बनाया है। लेकिन बीच में 10 सीटों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पेंच फंसा हुआ था। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अब ग्राउंड स्तर पर कार्यकर्ताओं से मंगवाई गई सारी रिपोर्टों के बाद मसला हल हो गया है। 5 सीटें लोक इंसाफ पार्टी को दी जानी थी, वह भी अब कैप्टन और संयुक्त अकाली दल में बंट जाएंगी। इसके बाद भाजपा की सीटें बढ़ भी सकती हैं और 10 सीटें, जिन पर पेंच फंसा था, यदि कैप्टन को दे दी जाती हैं तो घट भी सकती हैं।



लेकिन भाजपा ने इस बार अपने 70 प्लस उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतारने की रणनीति बना रखी है। बेशक भारतीय जनता पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की मदद ले रही है। उनका लोक पंजाब पार्टी के साथ समझौता भी है, लेकिन पहली बार पंजाब विधानसभा के चुनावी दंगल में स्वतंत्र रूप से उतरी भाजपा अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। इसके पीछे पार्टी का सीधा-सा विज्ञान है कि यदि चुनावी दंगल में सीट नहीं भी निकलेगी तो कम से कम भाजपा का अपना वोट शेयर तो राज्य में बढ़ ही जाएगा।

यहां फंसा हुआ था पेंच

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की सूची में देरी के दो कारण थे। एक लोक इंसाफ पार्टी की सीटें बढ़ाने की मांग और दूसरा कैप्टन अमरिंदर सिंह की पुआद, दोआबा और माझा की 10 सीटों पर असहमति। गठबंधन में साथ आई लोक इंसाफ पार्टी को भाजपा ने 5 सीटें दी थीं, लेकिन बैंस बंधुओं की मांग थी कि उन्हें कम से 15 से 18 सीटें दी जाएं। वे सीटें भी वह मांग रहे थे, जिन पर भाजपा पहले ही अपने प्रत्याशी तय कर चुकी है। दो दिन तक चले गहन मंथन के बाद दोनों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई और लोक इंसाफ पार्टी बीच से अलग हो गई।

इसके बाद पुआद, दोआबा और माझा की 10 सीटों पर कैप्टन अपने प्रत्याशी उतारना चाहते थे। लेकिन पुआद, दोआबा और माझा की इन 10 सीटों में से कुछ एेसी हैं, जिन पर भाजपा का कब्जा रहा है। वैसे भी यह सारी सीटें हिंदू बाहुल्य क्षेत्र की हैं, इसलिए इन्हें भाजपा छोड़ना नहीं चाहती थी। जबकि कैप्टन चाहते थे कि यह सीटें उन्हें दी जाएं, क्योंकि उन्होंने जो लोग कांग्रेस से तोड़े हैं, उनके साथ टिकट का वादा किया था। इसके लिए भाजपा ने अपने जमानी स्तर पर सीटों की स्थिति जानने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट मंगवाई। इसके बाद पिछले कल दोबारा फिर से सीटों पर मंथन हुआ और अब सहमति बन गई है।

पुआद में खरड़ और रूपनगर में कैप्टन अपना प्रत्याशी चाहते हैं। इसी तरह से दोआबा की दसूहा और मुकेरियां सीट पर भी भाजपा अपना उम्मीदवार चाहती है, लेकिन वहां से कैप्टन के साथ कांग्रेस से टूटकर आए लोग टिकट चाहते हैं। जबकि इतिहास रहा है कि इन सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा है। इसी तरह से माझा में अमृतसर की कुछ सीटों पर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह और भारतीय जनता पार्टी में पेंच फंसा था। यदि यह मसला कल शाम तक हल हो जाता तो उत्तराखंड के साथ ही पंजाब के प्रत्याशियों की भी लिस्ट जारी हो जानी थी, लेकिन मामला फंसने से लिस्ट में देरी हुई।