मान्यवर: पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा में नतमस्तक होना शुरू कर दिया है। कोई नशा खत्म करने के बहाने डेरे का समर्थन लेने के लिए आ रहा है तो कोई अपनी रिश्तेदारी के नाते डेरा प्रेमियों का वोट मांगने आया। डेरा प्रमुख साध्वी यौन शोषण मामले, पत्रकार छत्रपति और रणजीत सिंह हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहा है।
वहीं राम रहीम के समधी पूर्व एमएलए हरमिंदर सिंह जस्सी रविवार रात 7 बजे सिरसा पहुंचे। हालांकि रात को वे डेरे में जाने की बजाए अपने दामाद जसमीत और बेटी हुसनमीत से मिले। जस्सी को पंजाब कांग्रेस ने अबकी बार मौड़0 मंडी से टिकट नहीं दी। पिछली बार जस्सी ने कांग्रेस की टिकट पर इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। टिकट न मिलने पर जस्सी के भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
ऐसे में जस्सी डेरा प्रमुख की मां नसीब कौर सहित अन्य परिवारिक सदस्यों से मिले। रविवार को वे एडम ब्लॉक में डेरा मैनेजमेंट से भी मुलाकात कर सकते हैं। डेरे की बागडोर इन दिनों विपासना इंसा, शोभा इंसा, पीआर नैन के पास है। वे डेरे की राजनीतिक विंग के 45 मेंबरी कमेटी के सदस्यों से भी मिलेंगे। इन सभी से विचार विमर्श के बाद ही जस्सी आगे की रणनीति तय करेंगे।
शिअद के उम्मीदवार भी नशा खत्म करने के बहाने पहुंचे
शिअद के बल्लुआना हल्के के उम्मीदवार हरदेव सिंह भी रविवार शाम को डेरे में पहुंचे। उन्होंने डेरे से समर्थन मांगा। हरदेव सिंह ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा परमार्थ के कार्यों में जुड़ा है। लोगों को सेवा भावना से काम करना सिखाते हैं और कुरीतियों से दूर रहने के लिए प्रेरित करते हैं। मैं भी अपने हल्के में नशों को खत्म करना चाहता हूं, इसलिए आज डेरा सच्चा सौदा की मुहिम से जुड़ने के लिए डेरा पहुंचा हूं।
इन जिलों की सीटों पर है डेरे का प्रभाव
मालवा में फिरोजपुर, मोगा, फाजिलका, अबोहर, फरीदकोट, मुक्तसर साहिब बठिंडा, पटियाला, लुधियाना, मानसा, संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, फतेहगढ़ साहिब जिले आते हैं। मालवा बेल्ट में 69 विधानसभा सीटें है, जहां डेरा का प्रभाव माना जाता था।
डेरा प्रमुख का समधी तीन बार हारा चुनाव
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में डेरा प्रमुख के बेटे के सुसर हरमिंदर सिंह जस्सी बठिंडा विधानसभा क्षेत्र से शिअद प्रत्याक्षी सरुप चंद सिंगला से चुनाव हार गए। उनकी हार 6445 वोट से हुई। तलवंडी साबो उप चुनाव में भी हार हुई। इसके बाद वर्ष 2017 में मौड मंडी से चुनाव हार गए। इस चुनाव में रैली के दौरान ब्लॉस्ट भी हुआ। करीब 7 की मौत हुई। डेरा सच्चा सौदा के वर्कशॉप के तीन कर्मचारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ। सवाल यह है कि डेरे का इतना वोट बैंक होने के बावजूद भी डेरा प्रमुख का समधी हार गया।