मान्यवर:-ड्रग केस में फंसे बिक्रम मजीठिया की अग्रिम जमानत पर फैसला टल गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इसकी सुनवाई 5 जनवरी तक टाल दी है। इस केस में पंजाब सरकार की तरफ से पी. चिदंबरम और मजीठिया के पक्ष में एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस करनी थी।
यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने की मांग की गई थी लेकिन हाईकोर्ट ने फिजिकल सुनवाई के लिए कहा। जिसमें दोनों पक्षों के वरिष्ठ वकील पेश नहीं हो सके। इस वजह से दोनों पक्षों की सहमति के बाद मजीठिया के खिलाफ सुनवाई टाल दी गई। इससे पहले मोहाली कोर्ट याचिका को खारिज कर चुकी है।
केस दर्ज होने के बाद अंडरग्राउंड मजीठिया
बिक्रम मजीठिया के खिलाफ मोहाली के क्राइम ब्रांच पुलिस थाने में 20 दिसंबर को केस दर्ज किया गया था। NDPS एक्ट की धारा 25, 27A और 29 के तहत दर्ज केस में आरोप है कि मजीठिया ने नशा तस्करों को शरण दी। इसके अलावा उन्हें गाड़ी-गनमैन देने के साथ नशे की सप्लाई का सेटलमेंट भी करवाया। केस दर्ज होने की भनक लगते ही मजीठिया अंडरग्राउंड हो गए। उन्होंने पंजाब पुलिस की सुरक्षा भी छोड़ दी। अब तक सरकार और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकी है। मजीठिया की तलाश में पंजाब के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में रेड की जा चुकी है।
मजीठिया के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है ताकि वह विदेश न भाग सकें।
मोहाली कोर्ट ने कहा था- कस्टडी में इंटेरोगेशन जरूरी
मजीठिया ने पहले मोहाली की एडिशनल सेशन कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें दलील दी गई कि उन पर राजनीतिक बदलाखोरी निकालने के लिए केस दर्ज किया है। हालांकि कोर्ट इससे सहमत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मजीठिया पर लगे नशा तस्करों से जुड़े रहने के आरोप और वित्तीय लेन-देन के मामले की जांच के लिए कस्टडी में इंटेरोगेशन होना जरूरी है, जिसके बाद मजीठिया ने हाईकोर्ट का रुख किया।












