मान्यवर:-दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल में बिजली की लाइन शिफ्ट कर रही कंपनी से दो लाख रुपये रिश्वत लेते पावर कारपोरेशन के अधीक्षण अभियंता (एसई) देहात, देवेंद्र पचौरिया को विजिलेंस टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। पीवीवीएनएल एमडी ने अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने आरोपी एसई को निलंबित कर मुरादाबाद अटैच कर दिया है।
विजिलेंस टीम का दावा है कि रैपिड रेल के लिए बिजली की लाइन शिफ्टिंग करने वाली कंपनी से आरोपी एसई ने 20 लाख रुपये की डिमांड की थी। सौदा 12 लाख में हुआ और कंपनी के एमडी दो लाख रुपये लेकर पहुंचे तो एसई विजिलेंस के जाल में फंस गए। विजिलेंस का कहना है कि पूर्व में एसई एक लाख रुपये ले भी चुका था। बताया गया कि दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल के लिए बिजली की लाइनें शिफ्ट कर अंडरग्राउंड की जा रही हैं। मुरादनगर से मोदीपुरम के बीच 19 करोड़ में काम का जिम्मा चंडीगढ़ की कंपनी अरविंदा इलेक्ट्रीकल्स के पास है।
इस कंपनी के एमडी कुलवीर साहनी ने बताया कि अधीक्षण अभियंता देवेंद्र पचौरिया ने तीन महीने पहले आते ही अड़चनें डालनी शुरू कर दी थीं। अधीक्षण अभियंता ने पहले उनके इंजीनियर्स को बुलाकर परेशान करना शुरू किया। हर मुलाकात पर वह अधीनस्थों से उनका नंबर मांगते। इसी बीच एसई ने उनका नंबर जुटा लिया और आकर मिलने का दबाव बनाया। कुलवीर साहनी ने बताया कि पहले ही मुलाकात में उनसे 12 लाख रुपये की मांग की गई। स्पष्ट कहा कि इसके बिना हैंडओवर के कागज पूरे नहीं हो सकेंगे।
तय हुआ कि वह पहली किश्त दो लाख रुपये देंगे। अंडरग्राउंड लाइन शिफ्टिंग के कारण कॉरिडोर का काम भी प्रभावित हुआ है। कुछ लाइन पर शटडाउन के लिए आग्रह किया गया था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया। रैपिड रेल प्रोजेक्ट में केंद्र व राज्य सरकार का सहयोग है। इसलिए दोनों स्तर से इसकी लगातार निगरानी चल रही है। इस दिक्कत का सामना करने के बाद उन्होंने एनसीआरटीसी के समक्ष काफी लिखित शिकायत की, लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकला। करीब एक सप्ताह पूर्व उन्होंने विजीलेंस के समक्ष शिकायत रखी। विजिलेंस ने जांच कर कार्रवाई का खाका तैयार किया और एसई को रंगे-हाथ पकड़ा।
अधीक्षण अभियंता देवेंद्र पचौरिया पर 12 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है। सवाल कि इतनी बड़ी मांग क्या केवल अधीक्षण अभियंता ने खुद के लिए की थी या इसमें कुछ अन्य लोगों की भी हिस्सेदारी थी। यह बिंदु जांच का प्रमुख हिस्सा है। क्योंकि इससे पहले भी पीवीवीएनएल के अफसर व कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोपों में संलिप्त पाए जाते रहे हैं। क्या विजिलेंस इन चेहरों को बेनकाब करने का काम करेगी। सरकारी तंत्र में रिश्वतखोरी किस कदर हावी है यह एंटी करप्शन और विजिलेंस में चल रही जांच से पता चलता है। एक वर्ष में ही मेरठ में पांच अफसर रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए हैं।
भ्रष्टाचार के मामलों की जांच एंटी करप्शन, ईओडब्ल्यू और विजिलेंस विभाग द्वारा की जाती है। तीनों विभागों में मिलाकर करीब 135 जांच चल रही हैं। विजिलेंस टीम ने डीआईओएस ऑफिस मेरठ में तैनात अकाउंटें अफसर नीरज को रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। एबीएसए शामली राज लक्ष्मी की भी गिरफ्तारी हुई थी। मेरठ के आबकारी अधिकारी अतुल त्रिपाठी को भी रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
गाजियाबाद में विजिलेंस टीम ने जल निगम के एक्जीक्यूटिव इंजीनयिर विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया था। इन सब मामलों की जांच विजिलेंस टीम कर रही है। पांचवा मामला एक साल के अंदर अधीक्षण अभियंता देवेंद्र को पकड़ा गया है। रिश्वत लेने वाले कर्मचरियों और अधिकारियों को शिकायत पर रंगेहाथों गिरफ्तार किया जाता है। पांच आरोपी एक साल में अब तक पकड़े जा चुके है। सभी की जांच चल रही है। रिश्वत लेने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।