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Apeejay College students explored Gurmat Sangeet.

एपीजे कॉलेज ऑफ़ फाइन आर्ट्स जालंधर संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने सीखी़ गुरमति संगीत की खूबियां || Music students of Apeejay College of Fine Arts Jalandhar, learned the merits of Gurmat Sangeet.

 

एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स जालंधर सदा से ही संगीत प्रेमियों का आकर्षण केंद्र रहा है, यहां के कितने ही विद्यार्थी बॉलीवुड एवं पालीवुड में संगीत जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बन चुके हैं। पीजी डिपार्टमेंट ऑफ म्यूजिक वोकल द्वारा विद्यार्थियों को गुरमति संगीत की बारीकियां जानने का अवसर प्रदान किया गया जिसमें स्रोत वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुरमति संगीत में अपना
विशेष स्थान बना चुके भाई गुरमीत सिंह ‘शांत’ जी उपस्थित हुए। भाई गुरमीत सिंह ‘शांत’ न केवल 2013 से ऑल इंडिया रेडियो के ‘ए’ ग्रेड कलाकार है बल्कि वह विशेष रूप से राग माला और तराना के गायन के लिए भी जाने जाते हैं; वे अमृतसर दरबार साहब में कीर्तन चौकियों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में दर्ज 31 राग गायन कर चुके हैं। भाई गुरमीत सिंह ‘शांत’जी अभी तक अमेरिका ब्रिटेन, पोलैंड,फ्रांस जर्मनी,मलेशिया में अपने गुरमति संगीत की भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से अपना विशेष स्थान बना चुके हैं एवं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी हासिल कर चुके हैं। भाई गुरमीत सिंह जी ने विद्यार्थियों को बताया संगीत जगत में अपना स्थान बनाने के लिए न केवल अभ्यास ही जरूरी है बल्कि आपको फोकस होकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना है। संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने उनके सामने भक्ति संगीत एवं लोक संगीत की कई प्रस्तुतियां दी जिस पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे इसी तरह निरंतर अपनी प्रतिभा को तराशते रहे प्राचार्य डॉ नीरजा ढींगरा ने इस कार्यक्रम के बारे में अपने विचार व्यक्तकरते हुए कहा कि संगीत से जुड़े विद्यार्थियों के लिए हम निरंतर किसी न किसी संगीत जगत के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व को आमंत्रित करते रहते हैं ताकि विभिन्न प्रकार के संगीत की खूबियां को जानते हुए वे अपने अंदर छिपी प्रतिभा को भी पहचान सके। गुरमति संगीत पर कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए उन्होंने कालेज के कल्चरल कोऑर्डिनेटर डॉ अरुण मिश्रा,संगीत विभाग से डॉ अमिता मिश्रा एवं डॉ विवेक वर्मा के प्रयासों की भरपूर सराहना की तथा कहा कि वह भविष्य में भी इसी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे।

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