You are currently viewing Jalandhar Election :पूर्व CM चन्नी और AAP सांसद चड्ढा ने डेरा बल्लां में छका लंगर, BJP नेता डेरा ब्यास पहुंचे

Jalandhar Election :पूर्व CM चन्नी और AAP सांसद चड्ढा ने डेरा बल्लां में छका लंगर, BJP नेता डेरा ब्यास पहुंचे

जालंधर (ब्यूरो):- पंजाब की राजनीति में डेरों का अच्छा खासा प्रभाव है। सीधे तौर पर राजनीति में हों या न हों लेकिन ये डेरे चुनावों में अहम भूमिका भी निभाते हैं। जालंधर लोकसभा उपचुनाव में भी अपने कैंडिडेट की जीत के लिए नेताओं ने डेरों के खूब फेरे लगाए। राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से लेकर विपक्षी कांग्रेस और केंद्र में सरकार चला रही भाजपा के नेता भी डेरों में माथा टेकने पहुंचे।

कांग्रेस के पूर्व CM चरणजीत सिंह चन्नी सोमवार को शाहकोट और नकोदर के इलाके में प्रचार के लिए गए थे। रात को वह डेरा बल्लां में पहुंचे। लंगर छककर संत निरंजन दास जी का आशीर्वाद लिया।

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने निर्मल कुटिया में जाकर माथा टेका। भारतीय जनता पार्टी के पंजाब प्रभारी और गुजरात के पूर्व CM विजय रूपाणी भी अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा और लोकसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर चरणजीत अटवाल के साथ डेरा ब्यास में नतमस्तक हो चुके हैं।
राघव चड्ढा भी पहुंचे थे डेरा सचखंड बल्लां

आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा आज जालंधर में रविदासिया समुदाय के सबसे बड़े डेरा सचखंड बल्ला में पहुंचे थे। उन्होंने डेरे में जाकर पहले माथा टेका, उसके बाद वह डेरे के प्रमुख संत निरंजन दास से मिलने गए थे। मुलाकात के दौरान ही उन्होंने दोपहर को लंगर संत निरंजन दास के साथ ही ग्रहण किया था।

मुलाकात के बाद राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा था कि वह बहुत ही खुशकिस्मत हैं कि उन्हें संत निरंजन दास जी के साथ मिलने उनके साथ बैठने और लंगर ग्रहण करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि संतों के साथ मिलकर उन्हें रूहानियत का अहसास हुआ है।

इससे पहले राघव चड्ढा 4 मई को डेरा ब्यास में भी गए थे। वहां पर उन्होंने माथा टेकने के बाद डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मुलाकात भी की थी।
रूपाणी पहुंचे थे डेरा ब्यास
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा पंजाब के प्रभारी विजय रूपाणी डेरा ब्यास पहुंचे थे। उन्होंने डेरे में जाकर जहां आशीर्वाद प्राप्त किया, वहीं पर डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के साथ मुलाकात भी की थी। इस अवसर पर उनके साथ अल्पसंख्यक आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा और पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल भी थे।

डेरों के फेरे जरूरी क्यों…
पंजाब में बने ज्यादातर डेरे कभी किसी एक पार्टी या उम्मीदवार को खुले तौर पर समर्थन नहीं देते। राजनीतिक तौर पर डेरे निष्पक्ष रहते हैं। इसके बावजूद वोटरों में उनका सियासी दबदबा बरकरार रहता है। जालंधर उपचुनाव की बात करें तो यहां सबसे पावरफुल रविदासिया समाज का सबसे बड़ा धर्मस्थल डेरा सचखंड बल्लां हैं।

उनके करीब 4.80 लाख अनुयायी जालंधर लोकसभा सीट पर वोटर हैं। इन्हीं वोटों पर नजर रख नेता डेरे पहुंचते हैं। दूसरे नंबर पर नूरमहल डेरा है। हालांकि फिलहाल यह डेरा ज्यादा एक्टिव नजर नहीं आ रहा। डेरा ब्यास से जुड़े श्रद्धालु भी जालंधर सीट पर अपना रसूख रखते हैं।