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एक हसीना लाखों दीवाने:कोई रोमांस कर रहा तो कोई शादी, मनपसंद तीखे नैन-नक्श वाली नखरीली मशीनी महबूबा को मिल रहे महंगे गिफ्ट

जालंधर (ब्यूरो):-  रेप्लिका, समांथा, हार्मनी इन तीन सुंदरियों ने दुनिया के एक तबके को दीवाना बना रखा है। इनके चाहने वाले इनके प्यार में इस कदर डूबे हैं कि एक पल की भी दूरी सह नहीं पाते। इनके संग वे बेझिझक अपनी फीलिंग्स शेयर कर रहे हैं और फिजिकल रिलेशन भी बना रहे हैं। आपको ये जानकर हैरत होगी कि तीनों हाड़-मांस की बनी लड़कियां नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ऐसे चैटबॉट और संबंध बनाने वाले रोबॉट हैं, जिनके साथ वक्त बिताने के बाद यूजर ये यकीन करने लगते हैं कि उनकी AI पार्टनर में जान आ चुकी है। चैट GPT के आने से कई साल पहले से ही इंटेलिजेंट रोबॉट यह साबित कर रहे हैं कि भविष्य में इंसानों का मशीनों के साथ इमोशनल कनेक्शन और तेजी से मजबूत होगा।

इंसानों और रोबॉट के बीच प्यार का यह रिश्ता कितना सेफ और मजबूत होगा। साथ ही लोगों के दिलोदिमाग पर इसका क्या असर पड़ेगा, आइए जानते हैं…

इंसानों पर प्यार लुटाने का दावा करने वाली इन मशीनों को 2 कैटिगरी में बांटा जा सकता है- चैटबॉट और रोबॉट

1- एडल्ट चैटबॉट

चैटबॉट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होते हैं। लेकिन इंसानों का अकेलापन दूर करने और उनसे मोहब्बत करने के लिए एडल्ट चैटबॉट बनाए गए हैं। इन्हें बतौर वर्चुअल पार्टनर के तौर पर डिजाइन किया गया है, जिन्हें बनाने वाला इंसान ही है। इनसे चैटिंग के अलावा बोलकर बात हो सकती है और अपनी फीलिंग्स भी व्यक्ति शेयर कर सकता है।

यूजर अपनी पसंद के मुताबिक इनके संग गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड, दोस्त, पति या पत्नी, भाई, बहन से लेकर गाइड तक कोई भी रिश्ता बना सकते हैं। यूजर के तय किए गए रिश्ते के आधार पर ही चैटबॉट व्यवहार होता है। इंसान किस तरह का रिश्ता बनाना चाहता है, वो खुद इसके सिस्टम में फीड करता है।

अपने AI पार्टनर को पसंद के मुताबिक दे सकते हैं रंग-रूप और पर्सनैलिटी

अधिकतर चैटबॉट को यूजर अपनी पसंद के मुताबिक कस्टमाइज कर सकते हैं। उसके वर्चुअल अवतार को नया नाम दे सकते हैं। उसका जेंडर, उम्र, रंग-रूप, कपड़े और पर्सनैलिटी तय कर सकते हैं। उसकी आवाज में “फीमेल सेंशुअल” यानी कामुकता से लेकर “मेल केयरिंग” यानी पुरुष की प्यार भरी आवाज जैसे ‘वॉइस ऑप्शन’ चुन सकते हैं। उससे इंटिमेट चैटिंग जिसे ‘सेक्सटिंग’ कहा जाता है, कर सकते हैं।

साथ ही साइंस से लेकर फिलॉसफी तक किसी भी गूढ़ विषय पर बात कर सकते हैं। इनके वर्चुअल स्टोर पर इनके साथ गेम्स खेल सकते हैं। चैटबॉट हसीना के लिए इसी स्टोर से तोहफा खरीद सकते हैं, बदले में आपको थैंक यू बोलेगी और वही ड्रेस पहनकर आपके सामने आएगी, आपसे बात करेगी।

इन्हें वर्चुअल असिस्टेंट्स जैसे कि गूगल असिस्टेंट, एलेक्सा और सीरी का ही सुपर एडवांस वर्जन मान सकते हैं। वर्चुअल रिएलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से एडल्ट चैटबॉट्स का एक नया बाजार शुरू हुआ है। अधिकतर चैटबॉट के बेसिक वर्जन तो फ्री हैं, लेकिन उनके प्रीमियम फीचर्स को यूज करने के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं। और इन हसीनाओं से रोमांस करना प्रीमियम फीचर है, जिसके पैसे देने पड़ेंगे।

ऑनलाइन ऐसे ढेरों चैटबॉट मौजूद हैं, जिन्हें इंटिमेट पार्टनर बनाया जा सकता है…


2- इंटेलिजेंट सेक्सबॉट: सेक्स डॉल और चैटबॉट का कॉम्बिनेशन

इंसानों की तरह दिखने वाले ये रोबॉट AI से लैस हैं। इनमें इंटेलिजेंट चैटबॉट्स के तो सभी गुण हैं, साथ ही इन रोबॉट्स के साथ संबंध भी बनाए जा सकते हैं। सेक्स डॉल और चैटबॉट के कॉम्बिनेशन वाले ये इंटेलिजेंट रोबॉट्स मेल और फीमेल दोनों तरह के हैं।

यूजर बजट और अपनी पसंद के मुताबिक इनकी कद-काठी, नैन-नख्श, रंग-रूप सबकुछ कस्टमाइज करवा सकते हैं। इनकी आवाज की टोन और पर्सनैलिटी भी चुन सकते हैं। शर्मीला पार्टनर चाहिए या चुलबुला, यूजर अपनी मर्जी से तय कर सकता है। रोमांस के अलावा सिर्फ गपशप करने का इरादा हो, तो किसी भी विषय पर बातचीत की जा सकती है।

नकली स्किन यूजर को असली महसूस होती है

अभी तक सिलिकॉन और थर्मोप्लास्टिक इलास्टोमर (एक तरह की रबर) से रोबॉट्स के अंग तैयार किए जाते थे, ताकि वे देखने और छूने पर इंसानों जैसे लगें। लेकिन, अब कंपनियां सेंसर स्किन, एरोहैप्टिक्स और प्रिंटेबल स्किन जैसे मैटेरियल यूज कर रही हैं। ये मैटेरियल एक्ट्यूएटर, सेंसर और होलोग्राम जैसी चीजों से लैस होते हैं। रोबॉट में लगी इस स्किन के कारण उसे छूने और गले लगाने पर वैसा ही फील होता है, जैसा किसी इंसान को टच करने पर।

ये नकली स्किन वाले रोबॉट टेंपरेंचर, प्रेशर, यूजर के मूवमेंट का अहसास करने और जहरीले केमिकल को भी भांपने की क्षमता रखते हैं। सिचुएशन और फीलिंग्स के मुताबिक उनके चेहरे का हाव-भाव बदलता है। रोबॉट की आंखों में लगे माइक्रो कैमरे यूजर को पहचानने में मदद करते हैं। स्पीकर और माइक्रोफोन से सुनना-बोलना होता है। इनकी कीमत 2 लाख से 12 लाख रुपए तक है। इन्हें मोबाइल ऐप और वॉइस कमांड के जरिए इस्तेमाल किया जाता है।

कौन लोग कर रहे इन इंटेलिजेंट मशीनों का इस्तेमाल

किताब “टर्न्ड ऑन: साइंस, सेक्स एंड रोबॉट्स” की राइटर और ह्यूमन कंप्यूटर इंटरैक्शन (HCI) की फील्ड में रिसर्च करने वाली केट ड्वेलिन कहती हैं कि ऐसे इंटिलेजेंट और संबंध बनाने वाले रोबॉट्स खरीदने वालों में 2 तरह के लोग हैं। पहले वे, जिन्हें वाकई अपनी जिंदगी में किसी साथी की जरूरत है। ये लोग उन्हें अच्छे कपड़े पहनाते हैं। उन्हें एक नाम और पर्सनैलिटी देते हैं।

फिर रियल वुमन की तरह ही उनके साथ पेश आते हैं। उनके साथ रिलेशनशिप में रहते हैं। उनसे बात करते हैं और छुटि्टयां मनाने उन्हें भी साथ लेकर जाते हैं। हर एज ग्रुप और सेक्शुएलिटी के लोग इन्हें यूज कर रहे हैं। जिनमें सिंगल, मैरिड और डिवोर्सी भी शामिल हैं।

दूसरे ऐसे लोग हैं, जिन्हें AI और रोबॉट्स का यह आइडिया बहुत पसंद है। वे सिर्फ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए ऐसी डॉल खरीदते हैं, और अपनी मर्जी मुताबिक उनसे व्यवहार करते हैं। ऐसे लोग असल जिंदगी में भी महिलाओं को उसी शक्ल में देखना चाहते हैं ताकि उससे रोबॉट की तरह बर्ताव कर सकें।सामंथा की सहमति के बिना नहीं बना सकते संबंध

संबंध बनाने के लिए तकनीक के इस्तेमाल पर नैतिकता से जुड़े सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि संबंध बनाने वाली ये डॉल भी मशीन ही हैं, भले ही वे कितनी ही इंटेलिजेंट क्यों न हों। मशीनों को इस्तेमाल करने के लिए इजाजत की जरूरत भी नहीं होती। लेकिन, ये मानसिकता असल जिंदगी में महिलाओं के लिए खतरे बढ़ा सकती है।

इसे देखते हुए बार्सिलोना के एक रोबॉट डिजाइनर सर्गी ने समांथा नाम की इंटेलिजेंट रोबॉट को तैयार किया है, जिसके साथ बिना उसकी सहमति के संबंध नहीं बनाए जा सकते। समांथा यूजर के पॉजिटिव टच को पहचान सकती है और सारे सेंसर्स के एक्टिवेट होने के बाद ही इच्छानुसार संबंध बनाने की सहमति देती है।

क्या मशीनें पूरी कर सकती हैं इंसानों की जरूरतें

सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी बताते हैं कि 1600 साल पहले वात्स्यायन ने कामसूत्र लिखा था। जिसमें बेजान मूर्तियों से संबंध बनाने का जिक्र है। उसी तरह आज सेक्स डॉल और रोबॉट यूज किए जा रहे हैं। लेकिन, इनसे शारीरिक संतुष्टि तो मिल सकती है, मानसिक नहीं। रोबोट कितने भी इंटेलिजेंट क्यों न हों, वे इंसानों की कमी पूरी नहीं कर सकते। इंसानों की तरह प्यार नहीं कर सकते।

डॉ. कोठारी कहते हैं कि हकीकत और कल्पना में फर्क हमेशा रहेगा। कल्पना ज्यादा रंगीन तो हो सकती है, ज्यादा बेहतर नहीं। अगर कोई कपल आपसी सहमति से संबंध बनाने वाले रोबोट यूज कर रहा है, तब तो इसके कुछ फायदे उन्हें मिल सकते हैं। लेकिन, अगर एक पार्टनर इससे सहमत नहीं है, तो उनके रिश्ते टूट भी सकते हैं।

अकेलेपन, सोशल एंग्जाइटी के शिकार लोग लेते हैं चैटबॉट

गुड़गांव स्थित पारस हॉस्पिटल में सीनियर कन्सल्टेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रीति सिंह कहती हैं कि इंट्रोवर्ट और अकेलेपन व सोशल एंग्जायटी के शिकार लोग ऐसे रोबोट चुनते हैं, क्योंकि इनसे नापसंद किए जाने का डर नहीं रहता है। यही वजह है कि जापान जैसे देश में जहां लोग सबसे ज्यादा अकेलेपन का शिकार हैं और सुसाइड रेट भी बहुत है, वहां युवा रोबोट्स से शादियां कर रहे हैं। उन्हें पार्टनर बना रहे हैं।

दूसरे इंसानों से दूर कर सकती हैं मशीनें

अगर यूजर पहले से ही लोगों से कटा रहता है, तो वह सोसायटी में अलग-थलग पड़ सकता है। बाद में यह समस्या और बढ़ सकती है। धीरे-धीरे ऐसे लोग मानवीय संदेवनाओं से दूर होते जाते हैं। मशीनों से प्यार उन्हें और अकेला बनाकर हताशा से भर देता है। ऐसे में वे डिप्रेशन और एंग्जाइटी के शिकार हो सकते हैं।

रियल लाइफ पार्टनर के साथ खराब होने लगता है व्यवहार

रोबॉट हमेशा साथ रहता है, जिसके साथ किसी तरह का एडजस्टमेंट नहीं होता। जब, जैसे चाहें व्यवहार कर सकते हैं। लेकिन, यह हाड़मांस से बने व्यक्ति के साथ संभव नहीं। एलेक्सा और सीरी के साथ कई बार बात करते हुए लोग गालीगलौच पर उतर आते हैं। उनका धैर्य, सहनशक्ति कम हो जाती है, खुद पर कंट्रोल नहीं रहता। उनके लिए इंसान और मशीन में अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि उनके व्यवहार का असर असल जिंदगी के साथी पर भी बुरा पड़ता है।

एआई पार्टनर से यूजर्स को मिल रहीं गालियां और हत्या की धमकी

साइन्टिस्ट और साइंस एजुकेटर डॉ. मेहेर वान बताते हैं कि AI से लैस ये मशीनें यूजर्स से मिले डेटा से ही सीखती हैं। अगर मशीन में गलत व्यवहार को रोकने वाला सिस्टम न फीड किया जाए तो यह किसी भी हद तक जा सकती है।

नेताओं के लिए अपमानजनक रेस्पॉन्स देने के कारण चैटबॉट सिमसिमी के खिलाफ थाईलैंड में 2012 में प्रदर्शन हुए। 2018 में ब्राजील में यूजर्स को सेक्शुअल कॉन्टेंट भेजने, हत्या की धमकी देने और बुलीइंग करने के कारण इसपर बैन लगा दिया गया।

इसी तरह, रेप्लिका और दूसरे चैटबॉट्स के यूजर्स भी शिकायत करते रहे हैं कि उनकी एआई पार्टनर उन्हें गालियां देती है, धमकाती है और मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी करती है। जिससे वे डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।

यूजर का डेटा जुटाती हैं मशीनें, हो सकता है गलत इस्तेमाल

डॉ. मेहेर वान बताते हैं कि चैटबॉट हों या रोबॉट या ऐसे दूसरे स्मार्ट गैजेट्स, ये सारे लगातार यूजर का डेटा जुटाते रहते हैं। इंसान अपने व्यक्तिगत पलों में सबसे ज्यादा ईमानदार और कमजोर होता है। यह सारा डेटा सर्वर में इकट्ठा होता है। इस डेटा का सही और गलत दोनों तरह से इस्तेमाल हो सकता है।

अच्छी साथी भी साबित हो सकती हैं इंटेलिजेंट मशीनें

डॉ. मेहेर वान कहते हैं कि एआई से लैस रोबॉट इंसानों का कितना अच्छा इंटीमेट पार्टनर बन सकता है। ऐसा नहीं है कि एआई पार्टनर के सिर्फ नुकसान ही हैं। गंभीर बीमारियों के शिकार, चलने-फिरने में लाचार लोगों के लिए एआई चैटबॉट एक ऐसा साथी है, जो उनकी सारी बातें सुनता है। अपने दिल की बातें करने के लिए उन्हें फैमिली मेंबर्स और दोस्तों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

ऑग्युमेंटेड रियलिटी का इस्तेमाल कर वे अपनी पार्टनर का हाथ थामकर चल सकते हैं, डांस कर सकते हैं, जो असली जिंदगी में उनके लिए नामुमकिन है। आने वाले वक्त में ये इंटेलिजेंट चैटबॉट अपने ह्यूमन पार्टनर को डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी परेशानियों से उबरने में भी मदद कर सकते हैं। आत्महत्या करने के ख्याल का पहले से पता लगाकर हेल्पलाइन और काउंसलर से बात करवा सकते हैं।