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किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी:स्टार्टअप्स के लिए अलग से फंड, 3 साल में 1 करोड़ लोगों को नेचुरल फार्मिंग से जोड़ने का प्लान

जालंधर (ब्यूरो):-ऊंट के मुंह में जीरा….. ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। अब एक विज्ञापन भी याद कीजिए ……पियो बिसलेरी! जी हां वही ऊंट जो बिसलेरी भी पी रहा है। इस बार के कृषि बजट में किसानों के साथ भी कुछ यही स्थिति है। काम की घोषणाएं जीरा भर और कुछ ऐलान ऐसे जो ऊंट को बिसलेरी पिलाने जैसी लगें।

मसलन, केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का ऐलान किया था। लेकिन कृषि क्षेत्र के लिए वित्त मंत्री ने वैसा कोई ठोस ऐलान नहीं किया, जिससे किसानों को सीधा फायदा उनकी जेब में आता दिखे। सरकार ने कृषि क्रेडिट कार्ड (KCC) 20 लाख करोड़ बढ़ाने की घोषणा की, जो पिछले साल 18.5 लाख करोड़ रुपए था। यानी इस बार डेढ़ लाख करोड़ का इजाफा।

इसके अलावा सीतारमण ने दो और घोषणाएं कीं। पहला- डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर: इस ओपन सोर्स से किसानों को खाद बीज से लेकर मार्केट और स्टार्टअप्स तक की जानकारी मिल सकेगी। दूसरा- एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड: इसके जरिए गांवों में युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने का मौका मिलेगा।

बजट में किसानों के लिए कुल जमा 9 बातें कही गई हैं

कृषि स्टार्टअप बढ़ाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनेगा।
प्रधाानमंत्री मत्स्य योजना के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का ऐलान।
किसानों को लोन देने की राशि 20 लाख करोड़ रुपए की गई।
मोटे अनाज बढ़ावा देने के लिए इंस्‍टीट्यूट्स ऑफ मिलेट्स बनेगा।
2 हजार 200 करोड़ बागवानी की उपज को बढ़ावा देने के लिए।
खाद-बीज की जानकारी देने के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर।
अगले 3 साल में 1 करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए 10 हजार बायो इनपुट रिसर्च सेंटर स्थापित होंगे।
कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप (PPP) मॉडल पर जोर। किसानों के लिए सहकार से समृद्धि प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके जरिए 63 हजार एग्री सोसायटी को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा।
किसानों की आय दोगुनी करने का दावा और हकीकत…

सरकार ने जो 5 कदम उठाए

1. सात साल में खेती से जुड़ी योजनाओं का बजट 4.36 गुना बढ़ाया

2015-16 में सरकार ने कृषि योजनाओं के लिए 24.2 हजार करोड़ रुपए दिए थे। 2022-23 में यह 4.36 गुना बढ़ाकर 1.06 लाख करोड़ हो गया।

हकीकत : कृषि योजनाओं का बजट लगातार बढ़ाने के बावजूद सरकार उनके लिए अलॉट की गई रकम खर्च नहीं कर पा रही है। 2019-20 में ऐसी योजनाओं पर किया गया असल खर्च उन्हें मिले बजट के मुकाबले 29% कम था। पिछले साल यानी 2022-23 में कृषि योजनाओं के लिए 1,05,710 करोड़ रुपए अलॉट हुए थे। ये 2019 के बाद सबसे कम रकम थी। उसी साल केंद्र ने PM किसान योजना शुरू की थी।

2. हर साल 11.3 करोड़ किसानों को 6 हजार रुपए दिए

सरकार ने 2019 में PM किसान सम्मान निधि की शुरुआत की। योजना के तहत किसानों को हर साल 6 हजार रुपए 3 किश्तों में देना शुरू किया। अब तक करीब 11.3 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

हकीकत : योजना को किसानों ने पसंद तो किया है, लेकिन साल भर में 6 हजार रुपए की राशि बेहद कम है। एक्सपर्ट्स इसे 12 हजार रुपए तक करने की मांग कर रहे हैं।

3. फसल बीमा के जरिए 1.24 लाख करोड़ रुपए दिए

सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की। इसके तहत फसल नष्ट होने पर किसानों को अब तक 1.24 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।

हकीकत : राजस्थान समेत कई राज्यों में किसानों को फसल बीमा के तहत 20 पैसे, 2 रुपए और 10 रुपए दिए गए हैं। ऐसे में इस पर सवाल भी उठ रहे हैं।

4. किसानों को आसानी से कर्ज और क्रेडिट कार्ड मिला

2015-16 में किसानों को 8.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था। 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 18.5 लाख करोड़ रुपए हो गया। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए सरकार नवंबर 2022 तक 4.33 लाख करोड़ का कर्ज दे चुकी है।

हकीकत : इतनी बड़ी संख्या में KCC कार्ड जारी होने के बाद भी किसानों पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 6 सालों में किसानों पर 58% कर्ज बढ़ गया है। नेशनल सैंपल सर्वे NSS की 2021 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 35% लोगों पर कर्ज हैं। इनमें से 10.2% कर्ज गैरसंस्थागत यानी लोकल लेंडर्स से लिए गए हैं।

5. फसलों की MSP डेढ़ गुना बढ़ाई

सरकार का कहना है कि उसने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में डेढ़ गुना बढ़ोतरी की है। 2013-14 में धान की कीमत 1310 रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन 2022-23 में 2040 रुपए प्रति क्विंटल हो गई।

हकीकत : केंद्र सरकार की शांता कुमार कमेटी के मुताबिक, सरकार केवल 6% उत्पादन ही MSP पर खरीदती है। 94% किसानों का उत्पादन MSP से भी कम रेट पर बिकता है, जिसके कारण किसानों को हर साल लगभग 7 लाख करोड़ का नुकसान होता है।

केंद्र सरकार ने 2016 में दावा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना, यानी प्रति माह 21 हजार रुपए हो जाएगी। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (NSSO) की 2021 के रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में किसानों की आय 8 हजार रुपए प्रति माह थी, जो 2018-19 में बढ़कर 10 हजार ही पहुंच सकी। यानी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 11 हजार प्रति माह और बढ़ाने होंगे।

इसके अलावा छोटे और मझोले वर्ग के किसानों को खेती में आने वाली लागत को कम करने पर काम करना होगा। नवंबर 2021 में सरकार ने बताया था कि एक किसान हर महीने 10,218 रुपए कमाता है। इसमें से वह हर महीने 2 हजार 959 रुपए बुआई-उत्पादन पर और 1 हजार 267 रुपए पशुपालन पर खर्च करता है। यानी उसे बाकी खर्चे के लिए 6 हजार रुपए भी नहीं मिलते। लिहाजा वे कर्ज लेने के लिए मजबूर होते हैं।

6 साल में किसानों का कर्ज 58% बढ़ा, हर किसान पर 74 हजार रुपए से ज्यादा का कर्ज

साल 2019 में नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के किसानों पर 16.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। वहीं सरकारी एजेंसी NSSO ने बताया कि 2013 में देश के हर किसान पर औसतन 47 हजार रुपए का कर्ज था, जो 2019 में बढ़कर 74 हजार से ज्यादा हो गया। यानी 6 साल में ही एक किसान का कर्ज 58% तक बढ़ गया। तमिलनाडु के किसानों पर सबसे ज्यादा 1.89 लाख करोड़ का कर्ज है। सबसे कम कर्ज दमन और दीव के किसानों पर 40 करोड़ का है।

जब देश आजाद हुआ तो भारत की GDP में कृषि का योगदान 54% और सर्विस सेक्टर का योगदान केवल 29.2% था। धीरे-धीरे देश की इकोनॉमी में सर्विस सेक्टर का योगदान तो बढ़ता गया, लेकिन कृषि का योगदान काफी कम हो गया। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में सर्विस सेक्टर का योगदान 50% से अधिक था और कृषि का योगदान लगभग 17% रह गया। कोरोना के दौरान जहां सभी सेक्टर्स में गिरावट दर्ज की गई, वहीं कृषि ही एकमात्र ऐसा सेक्टर रहा जिसमें ग्रोथ रही।

1947 के मुकाबले 230 गुना बढ़ा गेहूं और चावल का स्टॉक

आपदा की स्थिति में लोगों को भूख से बचाने के लिए सरकार अपने पास अनाजों का स्टॉक रखती है। 1947 में जब देश आजाद हुआ था तो सरकार के पास गेहूं और चावल का स्टॉक 2.38 लाख टन था, लेकिन अब यह 230 गुना बढ़ गया है। 1 अगस्त 2022 को सरकार के मुताबिक, गेहूं और चावल का स्टॉक 545.97 लाख टन है।

दुनियाभर में अमेरिका की GDP सबसे ज्यादा 23.32 लाख करोड़ डॉलर है, लेकिन कुल GDP में कृषि का योगदान महज 1% है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि विकसित देशों की GDP में सबसे ज्यादा योगदान इंडस्ट्री का होता है। उसके बाद सर्विस सेक्टर का और सबसे कम एग्रीकल्चर सेक्टर का होता है। द वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, भारत की कुल GDP 3.18 लाख करोड़ डॉलर है। इसमें कृषि का योगदान 16.8% है

देश में इस समय 1.69 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन है। इसे खेती योग्य बनाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। देश में सबसे ज्यादा कर्ज वाला राज्य तमिलनाडु है। यहां 1.89 लाख करोड़ का कर्ज है। साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, इस समय देश में 26.31 करोड़ किसान हैं। सबसे ज्यादा 3.89 करोड़ किसान UP में हैं और लक्षदीप में एक भी किसान नहीं है

8 साल बाद आखिरकार इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ी। वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने कहा कि 2020-21 में आए नए टैक्स सिस्टम के तहत 7 लाख तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। 1 घंटा 27 मिनट की स्पीच में सीतारमण ने गरीबों के लिए बड़ा ऐलान किया। बोलीं गरीबों को मुफ्त अनाज की स्कीम एक साल और चलेगी। 50 नए एयरपोर्ट और हेलिपैड भी बनाए जाएंगे।

बजट बोरिंग होता है। पर इसके मोमेंट्स अब तो सोशल पर भी ट्रेंड करने लग जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसी कहानियां अभी बनने लगी हैं। पहले भी होती थीं। मसलन, इंदिरा का सिगरेट टैक्स बेइंतहा बढ़ाने से पहले सदन को सॉरी बोलना

आने वाले दिनों में मोबाइल फोन खरीदना सस्ता हो सकता है, वहीं सोना-चांदी खरीदना महंगा। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने मोबाइल फोन के कुछ पार्ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा दी है और सोना-चांदी पर ड्यूटी में इजाफा किया है। ऐसे में आम आदमी की जेब पर किन चीजों का बोझ बढ़ने जा रहा है और किससे उसे राहत मिलेगी, जानते हैं क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा