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पंजाब-हरियाणा CM की SYL विवाद पर मीटिंग आज केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के बुलावे पर दिल्ली में बीच का रास्ते निकालने के लिए मंथन

जालंधर (ब्यूरो): सतलुज-यमुना लिंक (SYL) मामले में पंजाब CM भगवंत मान और हरियाणा CM मनोहर लाल खट्‌टर आज दोबारा आमने-सामने होंगे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर दोनों के बीच यह मध्यस्थता मीटिंग केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। उनकी उपस्थिति में दोनों CM के बीच दिल्ली में यह मीटिंग आज दोपहर को होगी। विवाद को सुलझाने के लिए बीच के रास्ते पर मंथन किया जाएगा।

पंजाब-हरियाणा के बीच 42 साल पहले साल 1981 में SYL एग्रीमेंट हुआ था। लेकिन समय रहते इसके अनुसार काम नहीं होने पर दोनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ता गया। SYL के मुद्दे पर दोनों राज्यों को 19 जनवरी को कोर्ट में जवाब दाखिल करना है। इसी कारण आज यह मध्यस्थता मीटिंग बुलाई गई। इससे पहले CM पंजाब भगवंत मान और CM हरियाणा मनोहर लाल खट़्टर के बीच अक्टूबर में हरियाणा CM आवास पर मीटिंग की गई थी। लेकिन भगवंत मान ने पंजाब में पानी सरप्लस नहीं होने की बात कहते हुए नहर निर्माण से इनकार किया था।

इससे पहले हुई मीटिंग के बाद CM मान ने कहा था कि हरियाणा पानी के बंदोबस्त के लिए PM नरेंद्र मोदी से अपील करे। मान के अनुसार साल, 1981 में हुए SYL एग्रीमेंट को 42 साल बाद लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि पंजाब का भूजल स्तर नीचे जा चुका है। उन्होंने दावा किया कि पहले पंजाब के पास 4.22 मिलियन फीट पानी था और अब कुल 12.24 मिलियन एकड़ पानी रह गया है। हरियाणा के पास 14.10 मिलियन फीट पानी है। अन्य नदियों का पानी भी हरियाणा के पास है, जिसे किसी खाते में नहीं रखा गया है।

पंजाब CM भगवंत मान ने बताया कि पंजाब केवल 27 प्रतिशत नदियां, नाले और नहरों का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि 73 प्रतिशत पानी धरती से निकाला जा रहा है। 1400 किमी नहरें, नदियां बंद हो गई हैं। मान ने SYL मामले को केवल राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की बात कही।SYL नहर का पूरा विवाद

पंजाब ने हरियाणा से 18 नवंबर, 1976 को 1 करोड़ रुपए लिए और 1977 को SYL निर्माण मंजूरी दी। बाद में पंजाब ने SYL नहर के निर्माण को लेकर आनाकानी करनी शुरू कर दी।

1979 में हरियाणा ने SYL के निर्माण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पंजाब ने 11 जुलाई, 1979 को पुनर्गठन एक्ट की धारा 78 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

1980 में पंजाब सरकार बर्खास्त होने के बाद 1981 में PM इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों राज्यों का समझौता हुआ। 1982 में इंदिरा गांधी ने पटियाला के गांव कपूरी में टक लगाकर नहर का निर्माण शुरू करवाया।

इसके विरोध में शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने SYL की खुदाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ, जिसमें पंजाब नहर के निर्माण पर सहमति जताई गई।

1990 में 3 जुलाई SYL के निर्माण से जुड़े दो इंजीनियरों की भी हत्या कर दी गई। हरियाणा के तत्कालीन CM हुक्म सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की कि निर्माण का काम BSF को सौंपा जाए।

1996 में सुप्रीम कोर्ट ने 2002 को पंजाब को एक वर्ष में SYL नहर बनवाने के निर्देश दिए। 2015 में हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए संविधान पीठ बनाने का अनुरोध किया।

2016 में गठित 5 सदस्यों की संविधान पीठ ने पहली सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को बुलाया। 8 मार्च को दूसरी सुनवाई में पंजाब में 121 किमी लंबी नहर को पाटने का काम शुरू हो गया। 19 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति के आदेश देते हुए नहर पाटने का काम रूकवा दिया।

2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य नहर का निर्माण नहीं करते हैं तो कोर्ट खुद नहर का निर्माण कराएगा। अभी 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए नोटिस जारी किया