जालंधर(ब्यूरो): पंजाब में नए एडवोकेट जनरल (AG) विनोद घई की नियुक्ति पर बवाल मच गया है। विरोधी दलों के साथ सोशल एक्टिविस्ट्स ने सरकार को घेर लिया है। टॉप क्रिमिनल लॉयर विनोद घई पंजाब सरकार को कई बड़े केस में पटखनी दे चुके हैं।
वह बेअदबी केस में घिरे डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम, AAP सरकार के बर्खास्त हेल्थ मिनिस्टर डॉ. विजय सिंगला और सिंगर सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगनप्रीत के वकील रह चुके हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं, हालांकि आप समर्थकों का दावा है कि अनुभवी वकील को सरकार ने साथ जोड़ा है ताकि सभी केसों में इंसाफ मिल सके।हर बड़े मामले में सरकार के खिलाफ वकील रहे घई, सोशल एक्टिविस्ट परविंदर सिंह कितना के मुताबिक एडवोकेट विनोद घई बेअदबी मामले और डेरा मुखी की पेशी के वक्त पंचकूला हिंसा में राम रहीम के वकील रहे। पूर्व कांग्रेसी मंत्री भारत भूषण आशू, बेअदबी से जुड़े गोलीकांड में आरोपी पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी, रेप केस में फंसे लुधियाना के पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस, दिल्ली के भाजपा नेता तजिंदर बग्गा के केस में वकील रह चुके हैं। करप्शन केस में फंसे पूर्व कांग्रेसी मंत्री संगत सिंह गिलजियां को भी उन्होंने ही जमानत दिलाई।
भाजपा की चंडीगढ़ सांसद के साथ फोटो भी वायरल, नए एडवोकेट जनरल विनोद घई की अब चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरन खेर के साथ भी फोटो वायरल हुई हैं। यह फोटो किरन खेर ने ही ‘कॉफी विद किरन’ और ‘माई सिटी-माई पीपुल’ के नाम से ट्वीट की थी। जिसमें वह एडवोकेट घई के चंडीगढ़ के सेक्टर 15 स्थित घर में बैठे हुए हैं। हालांकि एडवोकेट घई ने दावा किया कि उनका किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं है।
सरकार ने खुद उन्हें मैरिट के आधार पर चुना, चन्नी सरकार की राह चले भगवंत मान भाजपा नेता सुनील जाखड़ ने तंज कसते हुए कहा कि भगवंत मान भी पिछली चरणजीत चन्नी की कांग्रेस सरकार की राह पर चल पड़े हैं। पहले डीजीपी और फिर एजी हटाए गए। उसी स्क्रिप्ट को फॉलो किया गया है। सिर्फ कैरेक्टर चेंज हुए हैं। कुछ भी हो, इसमें पंजाब को ही भुगतना पड़ रहा है। निजी कारण बता एडवोकेट सिद्धू ने दिया इस्तीफा, आप सरकार ने कुर्सी संभालने के बाद एडवोकेट अनमोल रतन सिद्धू को AG बनाया था। हालांकि 19 जुलाई को उन्होंने निजी कारण बता इस्तीफा दे दिया। 4 महीने वह इस पद पर रहे। उनका इस्तीफा 26 जुलाई को सार्वजनिक हुआ।
उनके इस्तीफे के पीछे प्रोफेसर दविंदर भुल्लर की रिहाई के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराने, लॉ अफसरों की नियुक्ति में देरी, लॉ अफसरों की नियुक्ति में रिजर्वेशन के खिलाफ पिटीशन वापस लेने जैसे कई कारण चर्चा में हैं।