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पंजाब के AG अनमोल रतन सिद्धू का इस्तीफा AAP सरकार ने मार्च में नियुक्त किया, 4 महीने में छोड़ी कुर्सी, निजी कारण बताए

जालंधर(ब्यूरो): पंजाब के एडवोकेट जनरल अनमोल रतन सिद्धू ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। उन्हें आम आदमी पार्टी की सरकार ने नियुक्त किया था। उन्होंने CM भगवंत मान को अपना इस्तीफा भेजा है। उनका इस्तीफा 19 जुलाई को ही सरकार के पास चला गया था। हालांकि उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही थी। इसको लेकर उनकी सीएम भगवंत मान से भी मुलाकात हुई थी। वह करीब 3 महीने ही इस पद पर रहे। हालांकि इसके पीछे उन्होंने निजी कारण बताए हैं।

इस बारे में एडवोकेट अनमोल रतन सिद्धू ने कहा कि इसका कोई बड़ा कारण नहीं है। वह अपने प्रोफेशन में ज्यादा व्यस्त हैं। इस वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ रहा है। इस वक्त वह बेअदबी और पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला कत्ल केस में सरकार पैरवी कर रहे थे। एडवोकेट सिद्धू के पद छोड़ने के बाद एडवोकेट विनोद घई पंजाब के नए एडवोकेट जनरल हो सकते हैं।

लॉ अफसरों की नियुक्ति का फंसा था पेंच, हाल ही में एडवोकेट जनरल के ऑफिस में लॉ अफसरों की नियुक्ति को लेकर पेंच फंसा था। केंद्रीय SC कमीशन ने इस मामले में सरकार को रिजर्वेशन देने को कहा था। हालांकि एडवोकेट जनरल सिद्धू का कहना था कि इसमें रिजर्वेशन के बजाय हमें लॉ अफसरों की काबिलियत देखनी चाहिए। पंजाब सरकार एससी कमीशन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गई थी। हालांकि अचानक सरकार ने अपनी पिटीशन वापस ले ली।

बेअदबी मामले में झेलनी पड़ी निराशा, पंजाब में 2015 के बेअदबी के मामलों में सरकार को काफी निराशा झेलनी पड़ी। फरीदकोट में बहबल कलां इंसाफ मोर्चा से मिलकर राज्य के मंत्री हरजोत बैंस और विस स्पीकर कुलतार संधवां को खाली हाथ लौटना पड़ा। सरकार ने मोर्चे से 6 महीने का समय मांगा था लेकिन मोर्चा ने इनकार कर दिया। 31 जुलाई को मोर्चा ने सिख संगतों को इकट्‌ठा होने को कहा है। इस केस में अभी तक सरकार कुछ खास कार्रवाई नहीं कर सकी है।

IAS अफसरों से बहस की भी चर्चा
एडवोकेट जनरल डॉ. अनमोल रतन सिद्धू को लेकर यह भी चर्चा है कि कुछ दिन पहले उनके ऑफिस के कुछ अफसरों की IAS अफसरों से बहस हो गई थी। इसको भी उनके इस्तीफे के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। हालांकि अभी तक किसी ने इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं की है।

दिल्ली में पेशी से लौटते वक्त हुआ था हमला, कुछ दिन पहले एडवोकेट जनरल डॉ. सिद्धू पर हरियाणा में हमला हो चुका है। वह दिल्ली में गैंगस्टर लॉरेंस केस में पेशी पर गए थे। हालांकि इसे सामान्य पथराव बताया गया। वहीं, एडवोकेट सिद्धू का कहना था कि जिस तरह से शताब्दी का शीशा टूटा तो इसे सामान्य पथराव नहीं कहा जा सकता।