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चंडीगढ़ में जब्त वाहनों को छुड़ाने का आज आखिरी मौका लोक अदालत में करें चालान का भुगतान 400 से ज्यादा आटो

जालंधर(ब्यूरो): कोरोना काल में कर्फ्यू व लाकडाउन के दौरान चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस द्वारा इंपाउंड किए गए वाहनों को छुड़वाने का आज आखिरी दिन है। चंडीगढ़ की सेक्टर-43 जिला अदालत में आज लोक अदालत लगाई जा रही है, जिसमें वाहन मालिक चालान का भुगतान कर अपने वाहन छुड़वा सकेंगे।

चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस विभाग की तरफ से जब्त किए गए इन वाहनों के मालिकों को एक मौका दिया है कि आज को विशेष तौर पर लगाई जा रही लोक अदालत में आएं और वहां चालान के जुर्माने का भुगतान कर अपने वाहन छुड़ा लें, वरना इनकी नीलामी हो जाएगी।

लोक अदालत में जब्त वाहनों के चालान के जुर्माने का भुगतान किया जाएगा। आज लगाई जा रही लोक अदालत में जिन वाहनों के चालान का भुगतान नहीं होगा उन वाहनों को आगामी दिनों में नीलाम कर दिया जाएगा। बता दें कि इंपाउंड वाहनों में सबसे ज्यादा 400 आटो हैं। वहीं, प्रशासन और पुलिस के इस प्रक्रिया को आटो यूनियन ने तानाशाही बताकर भुगतान करने के लिए थोड़ा समय देने की मांग की है।

प्रशासन की मनमानी, जज साहब से करेंगे अपील, चंडीगढ़ आटो यूनियन के प्रधान अनिल कुमार ने कहा कि प्रशासन की मनमानी की वजह से 400 से ज्यादा परिवार को रोजी-रोटी पर सवाल खड़ा हो गया है। पहले 10 साल और अब तीन साल बाद वाहन नीलाम करने के नियम प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी बता रहे है। साल 2020 में जब्त आटो को तीन साल पहले ही धक्के से नीलाम कर रहे है। पुलिस-प्रशासन की तरफ से एक भी आटो चालक या यूनियन को नीलामी की नोटिस नहीं भेजा गया है।

इस तरह के आटो नीलामी गलत: चंडीगढ़ आम आदमी पार्टी संयोजक प्रेम गर्ग ने कहा कि कर्फ्यू व लाकडाउन के दौरान आटो चालक लोगों की जरुरत के लिए बाहर निकलने थे। ऐसे में मनमानी तरीके से उन पर भारी जुर्माना लगाकर वाहन जब्त करने से भुगतान नहीं कर पा रहे है। आपराधिक गतिविधियों में जब्त आटो के अलावा साधारण नियमों के तहत चालान वाले चालक को भुगतान के लिए समय देना चाहिए। इस तरह से आटो को नीलाम करना गलत है।

जिसे शिकायत वह लोक अदालत में अपील कर सकता है: डीएसपी ट्रैफिक एडमिन उदयपाल ने कहा कि जब्त वाहनों को मालिक भुगतान कर लेकर जा चुके हैं। सात हजार वाहनों में 400 आटो सहित अन्य बचे वाहनों को छुड़ाने कोई नहीं आ रहा है। जिस वजह से लोक अदालत के बाद इन्हें नीलाम करने का फैसला लिया गया। जिसे शिकायत होगी वह लोक अदालत में अपील कर सकता है।