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NOC रद्द हुई है न कोई दूसरी कार्रवाई जालंधर नगर निगम में चल रहा चिट्ठी का खेल मामला दबाने में जुटे ‘भ्रष्टाचारी’

जालंधर(ब्यूरो): भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके नगर निगम जालंधर में भ्रष्टाचारियों की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि घोटाले पकड़े जाने पर भी इनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। इसका जीता जागता उदाहरण पिछले दिनों नगर निगम में पकड़ी गई एनओसी है। जिसे नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर जाली रजिस्ट्री के आधार पर जारी कर दिया गया था। हैरानी की बात है कि अभी तक ना तो एनओसी ही रद्द हुई है और न ही प्रथम दृष्ट्या इस भ्रष्टाचार को देखते हुए जो एफआईआर दर्ज कराई गई। अभी तक निगम में करीब दो हफ्ते होने के बाद भी चिट्ठी-चिट्ठी का खेल ही चल रहा है। दरअसल चिट्ठी-चिट्ठी का खेल खेलकर इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।

जांच में निकल सकता है बड़ा घपला: आमजन का मानना है कि जब निगम के अधिकारियों के ध्यान में मामला आ ही गया था तो सबसे पहले एनओसी तो रद्द होनी चाहिए थी। लेकिन अभी तक इसे रद्द नहीं किया गया है। रिकार्ड में अब भी एनओसी वैसे ही स्टैंड कर रही है। यहां पर यह भी दीगर है कि जो एनओसी पकड़ी गई है, वह कोई एक मामला नहीं है। यदि सारे रिकार्ड की जांच करवाई जाए तो एसी बहुत सारी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पैसे लेकर दी गई एनओसी रिकार्ड से निकल कर बाहर आ जाएंगी।

यहां हर काम का लेते हैं ठेका: बता दें कि नगर निगम में एक भ्रष्टाचारियों का एक नेक्सस काम कर रहा है। जिसमें निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ-साथ बाहर लाइसेंस शुदा कुछ आर्किटेक्ट भी इसमें शामिल हैं। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि यह नेक्सस सिर्फ एनओसी ही नहीं दिलवाता बल्कि जाली दस्तावेजों के आधार पर नक्शा पास करवाने से लेकर बिल्डिंग बनाने तक का ठेका भी लेता है।

पिछले दिनों संयुक्त आयुक्त से भी एनओसी को लेकर पूछा गया था तो उनका जवाब था कि अभी जांच जारी है। जब रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे। लेकिन एनओसी को अभी तक रद्द क्यों नहीं किया इसका किसी के पास जवाब नहीं है। इस सवाल पर एमटीपी, एसटीपी से लेकर ऊपर तक सभी अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं।

विधायक की शिकायत पर कार्रवाई नहीं:जालंधर वेस्ट और सेंट्रल से सत्ताधारी दल के विधायकों ने नाम लेकर कुछ बिल्डिंग विभाग के इंस्पेक्टरों की शिकायत की थी। शिकायत पर संयुक्त आयुक्त ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किए थे। लेकिन हैरानीजनक है कि अभी तक समय गुजरने के बावजूद इंस्पेक्टरों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी जड़ें कितनी मजबूत हैं। एक इंस्पेक्टर की तो विधायक ने रिकार्डिंग तक होने का दावा किया था। लेकिन इन पर कोई असर नहीं है। इससे भी आगे ताज्जुब की बात यह है कि इन पर अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं।