जालंधर (नि. स.) शिक्षकों को नवीनतम शैक्षणिक कौशल के साथ अच्छी तरह से सूचित और अद्यतन रखने के लिए हंस राज महिला महाविद्यालय, जालंधर में एक सप्ताह तक चलने वाले संकाय विकास का आयोजन प्राचार्य प्रो डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन के प्रेरक सहयोग के तहत कार्यक्रम। एफडीपी के दूसरे जीवंत दिन के संसाधन व्यक्ति, जिसका शीर्षक है, “गुरु सिद्धा- अग्रिम में” शिक्षण और शिक्षण शिक्षाशास्त्र”, डॉ संदेशा रायपा, सहायक। प्रो. जेएनयू, दिल्ली था प्राचार्य डॉ. अजय सरीन, डॉ. सीमा मारवाह, डॉ. नीलम द्वारा हरी झंडी दिखाई गई शर्मा, डॉ. अंजना भाटिया, डॉ. हरप्रीत सिंह और श्रीमती सलोनी शर्मा। डॉ संदेशा रायपास एक सहायक है। भाषाई अधिकारिता प्रकोष्ठ, जेएनयू से प्रो. दिन की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई डीएवी गान का दीप व गायन। डॉ. हरप्रीत सिंह ने इनका औपचारिक परिचय दिया संसाधन व्यक्ति।
प्राचार्य डॉ. अजय सरीन ने अपने स्वागत पत्र में प्रसन्नता व्यक्त की दिन के अध्यक्ष के रूप में डॉ संदेशा का होना। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि इस तरह के संवर्धन शिक्षकों को वर्तमान से अच्छी तरह वाकिफ रखने के लिए कार्यक्रम आवश्यक हैं आवश्यकताएं।
सत्र की शुरुआत एक दूसरे को बेहतर तरीके से जानने के लिए एक बर्फ तोड़ने वाले कार्य के साथ हुई। श्रोताओं से जुड़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए डॉ. संदेशा ने उन्हें समझाया तीन सत्रों के माध्यम से 21वीं सदी के जीवन और संचार कौशल और नेटिकेट पर विचार। कई गतिविधियों के साथ समर्थित, जीवंत प्रवचन का उद्देश्य . का इष्टतम उपयोग करना है
ऑनलाइन के साथ-साथ साइट शिक्षण में प्रौद्योगिकी। डॉ संदेशा ने के बारह कौशलों के बारे में बताया महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता, सहयोग, संचार सूचना प्रौद्योगिकी, मीडिया साक्षरता, प्रौद्योगिकी साहित्य, लचीलापन, नेतृत्व, पहल, उत्पादकता और सामाजिक कौशल। उसने संचार और प्रभावी संचार के बीच अंतर किया और दिया शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए प्रभावी सुझाव।
उसने बनाने पर ध्यान केंद्रित किया प्रक्रिया अनुभवात्मक और इंटरैक्टिव। उन्होंने अकादमिक लेखन पर कुछ बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला। अंत में डॉ. नीलम शर्मा ने पिछले दिन की रिपोर्ट पढ़ी। धन्यवाद ज्ञापन डॉ साक्षी द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मंच संचालन डॉ. नितिका कपूर ने किया।