एलईडी लाइट्स को लेकर आज जालंधर नगर निगम की बैठक में फिर से हंगामा होने की उम्मीद है। पार्षद औऱ मेयर एलईडी लाइट्स को लेकर अधिकारियों की घेराबंदी करेंगे। यह घेराबंदी एलईडी लाइट्स में हुए घोटाले को लेकर तो होगी ही, साथ में इस बात को लेकर भी होगी कि मीटिंग से पहले अधिकारियों ने एग्रीमेंट की वह कॉपी पार्षदों को क्यों उपलब्ध नहीं करवाई, जो नगर निगम ने कंपनी के साथ किया है।
जिस तरीके से नगर निगम के अधिकारी जनप्रतिनिधियों को दस्तावेज उपलब्ध करवाने में आनाकानी कर रहे हैं, उससे एलईडी लाइट्स के प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की बू आना स्वभाविक है। अन्यथा क्या कारण हो सकता है कि अधिकारी एलईडी लाइट्स लगाने वाली कंपनी के साथ जो एग्रीमेंट हुआ है, उसकी कॉपी नहीं दे रहे हैं। पिछली मीटिंग भी मेयर ने इसी वजह से मुल्तवी की थी कि पार्षदों को एग्रीमेंट की कॉपी नहीं नहीं मिली थी।
बता दें कि पिछली बार नगर निगम हाउस की बैठक में एलईडी लाइट्स का मुद्दा काफी गर्माया था। बहुत सारे पार्षदों ने शहर में लगी एलईडी लाइट्स को लेकर सवाल उठाए थे। यहां तक कहा था कि साढ़े चार साल में उनके इलाकों में तो अभी तक अंधेरा दूर करने के लिए एलईडी लाइट्स पहुंची ही नहीं है। कुछ ने आरोप जड़े थे कि जिन डार्क स्थानों पर एलईडी लाइट्स लगनी चाहिए थी, वहां पर लगी ही नहीं है।
पार्षदों की एक परेशानी यह भी पार्षदों ने तो एलईडी प्रोजेक्ट पर हाउस की मीटिंग में पूछ डाला था कि उन्हें बताया जाए कि स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा यह प्रोजेक्ट नगर निगम के तहत ही आता है या फिर कोई नगर निगम के पैरलल अन्य एजेंसी काम कर रही है। इसके पीछे उन्होंने वजह बताई थी कि यदि कहीं पर एलईडी के खराब हो जाने पर नगर निगम के अधिकारियों को शिकायत की जाती है तो आगे से जवाब मिलता है कि यह स्मार्ट सिटी के तहत आता है। मामला ज्यादा ही गरमाने के बाद मेयर ने सभी को शांत करते हुए विशेष तौर पर इसी मुद्दे पर अलग से बैठक बुलाने के लिए कहा था। इसके लिए बाकायदा एक एजेंडा तैयार करने के लिए कहा था। इसी के मद्देनजर पिछले दिनों मेयर ने एलईडी लाइट्स को लेकर पार्षदों के साथ बैठक भी की थी।
कमिश्नर को एडवांस में भेजी है प्रश्नावली मेयर के साथ पार्षदों की बैठक में एक प्रश्नावली तैयार की गई है। यह प्रश्नावली निगम कमिश्नर को भेज गई है, ताकि 24 जून को होने वाली एलईडी प्रोजेक्ट की विशेष बैठक में अधिकारी इस पर पूरी तैयारी के साथ आएं, क्योंकि बैठक में अब अधिकारियों को पार्षदों के सवालों के जवाब देने पड़ेंगे।
एलईडी लाइटें लगाने के लिए हुआ था सर्वे शहर में एलईडी लाइटें लगाने से पहले बाकायदा नगर निगम ने एक सर्वे करवाया था। सर्वे में उन स्थावों को चिन्हित किया गया था, जो डार्क जोन हैं, जहां पर रात को अंधेरा रहता है। इसके अलावा भी मोहल्लों- गलियों में एलईडी लाइट्स लगनी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि जिन स्थानों को सर्वे में चिन्हित किया गया था, वहां पर एलईडी लाइटें अभी तक नहीं लगी हैं।
इसे लेकर पार्षदों ने हाउस की बैठक में घेराबंदी की थी। इसके अलावा बहुत सारी खराब पड़ चुकी एलईडी लाइटों को लेकर भी पार्षदों ने सवाल किए थे कि इन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। पार्षदों ने मेयर से सवाल कर दिया था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट नगर निगम के अंडर ही है या फिर स्वतंत्र तौर पर चल रहा है।
क्योंकि जब वह कोई शिकायत करते हैं तो अधिकारियों का आगे से जवाब होता है कि यह तो स्मार्ट सिटी के तहत आता है। क्या स्मार्ट सिटी के तहत नगर निगम से इतर कोई अलग टीम काम कर रही है। सवालों से घिरे मेयर ने बैठक में शिकायतों की जांच करवाने का आश्वासन दिया था। मेयर ने कहा था कि इस मुद्दे पर अलग से एक विशेष बैठक करेंगे।