मान्यवर भारत-चीन युद्ध में शहीद सीआरपीएफ जवान प्रताप सिंह की पत्नी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है। केंद्र तथा सीआरपीएफ द्वारा 56 सालों से बंद उनकी विशेष फैमिली पेंशन शुरू हो गई है। हाईकोर्ट ने आदेशों में कहा गया कि 6 प्रतिशत ब्याज दर सहित यह पेंशन दी जाए।
केंद्र सरकार को पेंशन बहाल करने के आदेश दिए हैं। वर्ष 1966 से यह पेंशन देने के आदेश केंद्र को दिए गए हैं। 60 वर्ष पूर्व पति की मौत पर धरमो देवी को यह पेंशन लगाई गई थी। हालांकि सिर्फ 4 साल बाद यह पेंशन बंद कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पेंशन जारी करने को लेकर एक ‘वॉर विडो’ के साथ गलत व्यवहार किया गया। ऐसे में वह मुआवजे की अधिकारी है।
हाईकोर्ट जस्टिस हरसिमरण सिंह सेठी की बैंच ने यह आदेश जारी किए हैं। मामले में याची धरमो देवी के पति प्रताप सिंह सीआरपीएफ की 9वीं बटालियन में थे। भारत-चीन की 1962 की लड़ाई में वह शहीद हुए थे। धरमो देवी के पति की मौत के बाद उन्हें विशेष फैमिली पेंशन स्वीकृत की गई थी। हालांकि 4 साल बाद 3 अगस्त, 1966 को यह केंद्र व अन्य अथॉरिटी द्वारा बंद कर दी गई थी। बिना किसी न्यायसंगत कारण के यह सेवा बंद की गई।
केंद्र और सीआरपीएफ ने मानी थी गलती मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र और सीआरपीएफ को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर जवाब मांगा था। जवाब में कहा गया कि इस मुद्दे पर पुन: विचार किया गया तो पाया गया कि विशेष पेंशन सेवा गलत ढंग से बंद की गई थी। कहा गया कि 3 अगस्त, 1966 से यह लाभ शहीद की पत्नी को 15 मार्च, 2022 के आदेश के तहत दिया जा रहा है। वहीं सामान्य पेंशन के भत्तों का भी आंकलन किया गया और धरमो देवी को 2020 में दिए गए। इसके साथ ही विशेष फैमिली पेंशन के भत्ते भी जोड़े गए हैं और उन्हें दे दिए जाएंगे।
धरमो देवी के वकील ने कोर्ट में कहा कि उन्हें 56 वर्ष तक उनके वैध हक से वंचित रखा गया। ऐसे में वह भत्ते पर ब्याज की अधिकारी हैं। इसका विरोध करते हुए केंद्र और सीआरपीएफ ने कहा कि उनकी यह विशेष फैमिली पेंशन रोकने के पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। संचार में कमी के चलते यह सब हुआ था।