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पंजाब कांग्रेस को इसी महीने मिलेगा नया प्रधान Navjot Sidhu से इस्तीफा ले चुकी Sonia Gandhi शनिवार को दिल्ली में मीटिंग

मान्यवर पंजाब में कांग्रेस को इसी महीने नया प्रधान मिल जाएगा। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पंजाब में करारी हार हुई। जिसके बाद सोनिया गांधी ने नवजोत सिद्धू का इस्तीफा ले लिया। अब शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस की मीटिंग हो रही है। जिसमें सभी जनरल सेक्रेटरी और इंचार्ज बुलाए गए हैं। इस मीटिंग में सोनिया गांधी मौजूद नहीं होंगी। इसकी अगुवाई महासचिव केसी वेणुगोपाल करेंगे। जिसमें प्रियंका गांधी भी मौजूद रहेंगी।

प्रियंका की चली तो सिद्धू को फिर से प्रधानगी दी जा सकती है। हालांकि लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्‌टू, कादियां से विधायक प्रताप सिंह बाजावा, पूर्व डिप्टी सीएम और डेरा बाबा नानक से सुखजिंदर रंधावा और गिद्दड़बाहा से अमरिंदर राजा वड़िंग भी दावेदार हैं। वहीं पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ पर भी कांग्रेस दांव खेल सकती है।

हार की जिम्मेदारी नहीं ले रहे सिद्धू पंजाब में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। संगठन प्रधान होने के नाते सिद्धू ने भी इससे इन्कार कर दिया। सिद्धू का तर्क है कि यह चुनाव उनकी नहीं बल्कि चरणजीत चन्नी की अगुवाई में लड़ा गया। उन्होंने सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में भी सिर्फ सोनिया गांधी की इच्छा का हवाला दिया। हालांकि सिद्धू भी अमृतसर ईस्ट सीट से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार जीवनजोत कौर से हार गए

जिस चन्नी की अगुवाई में लड़े, वह दोनों सीटें हारे 5 साल में 2 मुख्यमंत्री देने के बावजूद पंजाब में कांग्रेस 18 सीटों पर सिमट गई। 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में कांग्रेस 77 सीटें जीती थी। इस बार का चुनाव दलित चेहरा CM चरणजीत चन्नी की अगुवाई में लड़ा गया। हालांकि पार्टी को जिताना तो दूर, चन्नी CM रहते खुद चमकौर साहिब और भदौड़ सीट से हार गए। कांग्रेस पंजाब में बदलाव की आहट को नहीं समझ सकी।

पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी की छुट्‌टी तय राज्य में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के पंजाब इंचार्ज हरीश चौधरी की छुट्‌टी तय मानी जा रही है। चौधरी ही पंजाब में कांग्रेस और हाईकमान के बीच की कड़ी थे। वह यहां मची बगावत और विरोधी बयानबाजी को नहीं थाम सके। उन्होंने चन्नी के बारे में हाईकमान को कुछ ज्यादा ही पॉजीटिव फीडबैक दे दिया। जिस वजह से राहुल गांधी ने नवजोत सिद्धू को इग्नोर कर चन्नी को सीएम चेहरा घोषित किया। चूंकि पंजाब में अब सत्ता नहीं रही तो चौधरी भी यहां रहने के इच्छुक नहीं हैं। इसीलिए वह हार की जिम्मेदारी ले रहे हैं।