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आनंदपुर साहिब का होला मोहल्ला घुड़सवारों ने दिखाए करतब श्री अखंड साहिब पाठ का डला भोग लाखों श्रद्धालुओं ने गुरुघरों में टेका माथा

मान्यवर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना करने के बाद वर्ष 1757 में होली से अगले दिन होला-मोहल्ला नाम का त्यौहार मनाना शुरू किया था। श्री आनंदपुर साहिब में होलगढ़ नामक स्थान पर गुरु जी ने होले मोहल्ले की परंपरा को आरंभ किया। मोहल्ला दो शब्दों से मिलकर बना है, मय-हल्ला। जिसमें मय का मतलब है बनावटी और हल्ला का भाव हमला होता है। होला मोहल्ला एक बनावटी हमला होता है, जिसमें पैदल व घुड़सवार शस्त्रधारी सिंह दो गुट बनाकर एक दूसरे पर हमला करते हैं।

होला मोहल्ला समागमों की आरंभता विशाल नगर कीर्तन के साथ की जाती है। समूह निर्मल भेख की तरफ से होला महल्ला को समर्पित नगर कीर्तन सजाया जाता है। सुंदर फूलों के साथ सजी गाड़ी में सुशोभित श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया और पांच प्यारे साहिबान के नेतृत्व में निर्मल भेख के संत-महापुरुषों और भारी संख्या में संगत शिरकत करती है। संगत फूलों की वर्षा करके नगर कीर्तन का स्वागत करती है।

संगत के लिए फ्री बस सेवा शनिवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की तरफ से तख्त श्री केसगढ़ साहिब में अखंड पाठ रखवाया गया, जिसका भोग दोपहर को डाला गया। होला महल्ला के अवसर पर संगत को मेला क्षेत्र में आने-जाने के लिए प्रशासन की तरफ से मुफ्त बस सेवा दी गई। मेला क्षेत्र के बाहर के नाकों पर अंदरूनी चौक और गुरुधामों से 80 बसें श्रद्धालुओं को सेवा देने के लिए लगाई। आम संगत के अलावा बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं और दिव्यांगों को इस बस सर्विस की सुविधा से बड़ी राहत मिली है। 80 बसें अलग-अलग पॉाइटों से निरंतर चल रही हैं, जो संगत को गुरुधामों तक पहुंचा रही हैं।

गुरुघरों में उमडी भीड़ उधर, गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, किला आनंदगढ़ साहिब, किला फतेहगढ़ साहिब, किला लोहगढ़, गुरुद्वारा माता जीतो जी, गुरुद्वारा भाई जैता जी व अन्य गुरुघरों में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है। गुरु नगरी में चारों तरफ संगत दिखाई दे रही है। मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए SGPC की तरफ से पीने वाले पानी, डिस्पेंसरियां, लंगर, गठड़ीघर, जोड़ाघर, पार्किंग स्थल, रिहायश, शौचालय का प्रबंध किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की मुश्किल न हो सके।