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CM चन्नी के भांजे को नहीं मिली राहत कोर्ट ने भूपिंदर सिंह हनी की न्यायिक हिरासत 10 मार्च तक बढ़ाई, जमानत की प्रक्रिया में जुटे वकील

मान्यवर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भांजे की मुश्किलें कम होती दिखाई नहीं दे रही हैं। एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के शिंकजे में फंसे भूपिंदर सिंह हनी को पहले कोर्ट ने दो बार ईडी की कस्टडी में भेजा था। इसके बाद दोबारा फिर से ईडी ने कुछ और लोगों का नाम पता लगाने व रिकवरी के लिए रिमांड मांगा था, लेकिन कोर्ट ने ईडी की मांग को खारिज करते हुए भूपंदिर सिंह हनी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

न्यायिक हिरासत खत्म होने के बाद दोबारा फिर से हनी को ईडी ने कोर्ट में पेश किया तो कोर्ट ने राहत देने की बजाय फिर से हनी को 10 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बता दें कि मनी ट्रेलिंग में 70 लोगों के नाम ईडी को पता चल गए हैं तथा कुछ नाम हैं, जिनका पता लगाना जरूरी है। इसके लिए ईडी को भूपिंदर सिंह हनी का एक हफ्ते का रिमांड और चाहिए।

इस पर बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता एपीएस देओल पेश नहीं हुए थे तो उनके स्थान पर वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस दयाल ने पेश होकर कहा था कि ईडी पहले ही 2 बार में 7-7 दिन का रिमांड ले चुकी है। यदि वह इन 7 दिनों में कुछ पता नहीं लगा पाई तो आगे भी कुछ नहीं कर पाएगी। इसलिए उनके मुवक्किल का रिमांड नहीं दिया जाना चाहिए।

बहस के दौरान कोर्ट ने ईडी के अधिवक्ता को बचाव पक्ष के सवाल पर जवाब देने के लिए कहा था तो वह तीन दिन के रिमांड पर आ गए थे कि 7 न सही, लेकिन 3 दिन का रिमांड तो हर सूरत में दिया जाए, ताकि मनी ट्रेलिंग में शामिल अन्य लोगों का पता लगाया जा सके। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने ईडी के अधिवक्ता के जवाब से संतुष्टि न जताते हुए तथा बचाव पक्ष की दलील को मानते हुए और रिमांड देने से साफ मना कर दिया।

जमानत के लिए जोड़तोड़ में जुटे वकील

हनी के न्यायिक हिरासत में चले जाने के बाद अब उनके वकील जमानत की प्रक्रिया में जुट गए हैं। न्यायिक हिरासत खत्म होने पर हनी के वकीलों ने तर्क देते हुए जमानत देने की अपील की थी, लेकिन ईडी की तरफ से कहा गया कि हनी मुख्यमंत्री का भांजा है और प्रभावशाली व्यक्ति है। यह बाहर आकर साक्ष्यों से छेड़छाड़ करवा सकता है, इसलिए जमानत न दी जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोर्ट ने हनी को 10 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा है।

10 मार्च के बाद जब ईडी हनी को कोर्ट में पेश करेगी तो बचाव पक्ष के वकील फिर से जमानत के लिए अर्जी दायर करेंगे। सूत्रों के हवाले से भी पता चला है कि हनी को निचली अदाल से कोई राहत न मिलने की सूरत में अब वकील जमानत के लिए ऊपरी अदालत में जाने की भी कोशिश कर रहे हैं। वकील जमानत के लिए उच्च न्यायालय में भी अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

ईडी का दावा हनी ने माना था 10 करोड़ लिए

एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के अधिकारियों ने हनी के घर से बरामद 10 करोड़ को लेकर बड़ा खुलासा किया था। ईडी अधिकारियों ने दावा किया था कि कस्टडी में पूछताछ के दौरान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भांजे ने माना था कि उसने पैसे खनन माफिया के लोगों से खनन विभाग में ही अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग के लिए वसूल किए थे।

कोर्ट में ईडी ने कहा था 325 करोड़ का है मामला

पिछली पेशी पर ED की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता लोकेश नारंग ने कहा था कि खनन माफिया से अपने रिश्तेदार मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नाम का इस्तेमाल कर 10 करोड़ कमाने वाले भूपिंदर सिंह हनी के तार आगे भी बहुत जगह जुड़े हुए हैं। इसमें और भी बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं। ED के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि यह मामला सिर्फ 10 करोड़ का ही नहीं है, बल्कि जांच में पता चला है कि यह बहुकरोड़ी मामला है। करीब 325 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री का नाम इस्तेमाल करके कमाए गए हैं।