You are currently viewing अमृतसर ईस्ट की रिपोर्ट 18 साल में सिद्धू पहली बार कड़े मुकाबले में फंसे; मजीठिया को भी AAP के अंडर करंट से खतरा

अमृतसर ईस्ट की रिपोर्ट 18 साल में सिद्धू पहली बार कड़े मुकाबले में फंसे; मजीठिया को भी AAP के अंडर करंट से खतरा

मान्यवर सूरज ढलते ही शाम में तब्दील होती दिन की रोशनी को देख अक्सर दरवाजे बंद हो जाया करते हैं। लेकिन पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू के लिए दिन के उजियारे में भी उनके विधानसभा हलके अमृतसर ईस्ट के तिलक नगर इलाके के मुस्लिम गंज में मकान का दरवाजा बंद था। समर्थकों के खटखटाने पर भी गेट नहीं खुला। सिद्धू इस दरवाजे के सामने कुछ देर रुके रहे, फिर चले गए।

पंजाब विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट- अमृतसर ईस्ट के एक घर का यह बंद दरवाजा क्या कहता है? क्या ये मान लिया जाए कि सिद्धू ने बतौर सांसद और MLA जिस सीट पर 18 साल एकछत्र राज किया, वहां उनका वक्त गुजर गया है? फिलहाल ऐसा कहना भी जल्दबाजी होगा। हां, बंद दरवाजा यह जरूर बता रहा है कि इस बार सिद्धू मुश्किल में हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है अकाली दल के बिक्रम मजीठिया का उनके सामने चुनाव मैदान में ताल ठोंकना।

दरअसल 18 साल से सियासत कर रहे सिद्धू को कभी कड़ी टक्कर मिली ही नहीं मगर इस बार वोटिंग से 10 दिन पहले तक सिद्धू बुरी तरह फंसे नजर आ रहे हैं। रही-सही कसर आम आदमी पार्टी (AAP) पूरी कर रही है। AAP कैंडिडेट जीवनजोत कौर बेशक बहुत बड़ा नाम न हों मगर लोग झाड़ू को पसंद कर रहे हैं।

इनके बीच BJP ने अकाली दल से अलग होने के बाद अमृतसर ईस्ट सीट पर उपस्थिति दर्ज कराने के मकसद से रिटायर्ड IAS अफसर जगमोहन राजू पर दांव खेला है। यह सभी मिलकर सिद्धू के वोट काट रहे हैं जिससे उनकी परेशानियां बढ़ रही हैं।
विकल्प बढ़ने से वोटर भी कंफ्यूज

कांग्रेस की परंपरागत सीट समझी जाने वाली अमृतसर ईस्ट का वोटर इस बार यूं तो AAP के गुण गाता है लेकिन कुछ देर साथ बैठकर चर्चा करने पर वह कभी मजीठिया तो कभी BJP की ओर झुकने लगता है। यानि वोटर भी अभी कंफ्यूज है और काफी हद तक यह स्वाभाविक भी है। दरअसल आज से पहले उसके पास इतने विकल्प कभी रहे ही नहीं। इस बार वह दुविधा में है, किसे छोड़े और किसे पसंद करें?हलके में गुरप्रीत क्लाथ हाउस के मालिक हरप्रीत सिंह ने बताया कि उनकी दुकान पर रोज कई ग्राहक आते हैं। इनमें से अधिकतर की जुबान पर इस बार आम आदमी पार्टी का नाम हैं। उनके बच्चे भी ऑस्ट्रेलिया में सेटल हैं। वह भी AAP को सपोर्ट करते हैं और कह रहे हैं कि इस बार वोट उसे ही देना चाहिए। हर कोई इस बार रिवायती पार्टियों से उठकर वोट देना चाहता