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पंजाब में 10 सालों में सबसे ज्यादा बारिश, कोहरा व सर्द दिन लौटेंगे, शीतलहर व गलन से नहीं मिलेगी राहत

मान्यवर बरसात व तेज हवाओं ने पंजाब में पारा गिरा दिया है। सर्द हवाओं ने ठिठुरन बढ़ा दी है। वहीं किसानों की चिंता बढ़ गई है। कई फसलों पर बदले मौसम का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

पिछले दो दिनों से पंजाब में हो रही बारिश से जहां नए रिकॉर्ड बनें, वहीं एक बार फिर कड़ाकेदार ठंड की वापसी होगी। अमृतसर (145.6), लुधियाना (122.9), गुरदासपुर (238), फरीदकोट (135) में दस सालों में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। फिलहाल रविवार रात बारिश थम गई है। सोमवार से मौसम शुष्क हो जाएगा। कोहरे और सर्द दिन की वापसी होगी।


मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक शीतलहर और गलन भरी सर्दी से निजात नहीं मिलने जा रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुमान के अनुसार रविवार के बाद उत्तर पश्चिमी दिशा यानी उच्च हिमपात वाले इलाके से हवा अपने साथ बर्फबारी की ठंडक भी लाएगी।

इसके चलते सोमवार से न्यूनतम तापमान और गिरकर शुक्रवार तक 6 डिग्री तक पहुंच सकता है, जबकि अधिकतम तापमान 18 डिग्री से कम या उसके आसपास बना रहेगा। मौसम विभाग के मुताबिक जनवरी तक अब बारिश की उम्मीद नहीं है। पंजाब के कई इलाकों में सोमवार सुबह हल्का कोहरा रहेगा और दिन के समय हल्के बादल छाए रहने की संभावना है।

लुधियाना में सर्दी बढ़ी, लोग घरों में दुबके
पंजाब के लुधियाना में शनिवार देर रात से तेज हवाओं के साथ बारिश रविवार को भी जारी रही। मौसम में पहले से ज्यादा ठंडक हो गई है। 24 घंटे में 19 एमएम बरसात हुई लेकिन हवाओं ने कंपकंपी बढ़ा दी है। रविवार रात और सोमवार सुबह भी बारिश का अनुमान है। बारिश की वजह से मौसम कुछ दिन और सर्द रहेगा।

अमूमन जनवरी के आखिरी दिनों में ठंड कम होने लगती है और बारिश नहीं होती लेकिन इस बार बारिश ने सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले। जनवरी माह में पिछले 10 दिनों से सूर्य नहीं निकला है। इससे गेहूं की फसल को भले फायदा हो लेकिन आलू और दूसरी सब्जियों को नुकसान हो रहा है।

महानगर में शनिवार देर रात 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। तेज हवाओं से गेहूं की सिंचित फसल को नुकसान हुआ है। कई जगहों पर गेहूं की फसल गिर गई हैं। सर्द की वजह से रविवार को लोग बाहर निकलने के बजाय घरों में ही दुबके रहे। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की मौसम विशेषज्ञ डॉ. प्रभजोत कौर के अनुसार इस साल जनवरी में अब तक 100 एमएम बारिश रिकॉर्ड हो चुकी है। 10 साल पहले जनवरी में इतनी बारिश हुई थी। अमूमन इस माह 28 एमएम के आसपास बारिश होती है। 24 जनवरी को बादल छाए रहेंगे और इसके बाद मौसम साफ होने लगेगा।
आलू पर पड़ेगी सबसे ज्यादा मार, फूलों की फसल भी होगी खराब
तेज हवाओं के साथ हो रही बारिश और गिरते पारे ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फसलों पर मौसम का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। फसलों को बचाने के लिए किसान दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं। जिससे उनका खर्च बढ़ गया है। बारिश के चलते पीली पड़ रही गेहूं की फसल को बचाने के लिए प्रति एकड़ 1000 रुपये तक दवाओं पर खर्च आ रहा है। आलू की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुधार गांव स्थित गिल फार्मस के मालिक किसान चरनजीत सिंह गिल ने बताया कि वो गेहूं और बासमती चावल की खेती के अलावा फूलों और सब्जियों के हाईब्रिड क्वालिटी बीज तैयार करते हैं। जिनको कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से कंपनी के जरिए निर्यात किया जाता है। मौसम ने जबरदस्त करवट ली है। भारी बारिश और तेज हवाओं ने गेहूं और सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है।

पीली पड़ रही गेहूं की फसल को बचाने के लिए लाइफ सेविंग दवाओं पर प्रति एकड 1000 रुपये का खर्च बढ़ गया है। इससे गेहूं के पैदावर में 25 प्रतिशत की कमी होने की संभावना है। इसके अलावा बारिश के चलते ब्रोकली और अन्य सब्जियों मे घास पैदा होने के कारण फसल बर्बाद हो रही हैं। जमीन की गुड़ाई नहीं हो पा रही है। गेंदा और कैंडीफर्स्ट फूलों के बीज निर्यात करने के लिए तैयार फसल बारिश और मौसम के चलते सूख गई। इसके अलावा मूली और चुकंदर समेत तमाम सब्जियों के बीज तैयार करने के लिए बीजी गई फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

यह घाटा जल्द उबरने नहीं देगा
किसान जुगराज सिंह गिल ने बताया कि वो 22 एकड़ जमीन में खेती करते हैं। जिसमें से 12 एकड़ में उन्होंने एक कंपनी के साथ करार कर आलू की फसल लगाई थी। रविवार को कंपनी के अधिकारी फसल का निरीक्षण करने पहुंचे। हर तीसरा आलू खराब मिला। मौसम दो चार दिन और खराब रहा तो आलू की फसल पूरी तरह खराब हो जाएगी। उसे खेतों मे जोतना पड़ेगा क्योंकि निकालने का खर्च पूरा नहीं हो सकेगा। गेहूं और अन्य फसलें अब मौसम की मार से खराब हो रही हैं।