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बिक गया चंडीगढ़ का बिजली विभाग read more……कैसे?

मान्यवर: बिक गया चंडीगढ़ का बिजली विभाग : 870 करोड़ में एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने खरीदा, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

चंडीगढ़ के बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंप दिया गया है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट ने कोलकाता विद्युत आपूर्ति निगम (सीईएससी) की बोली को आखिरी मंजूरी दे दी। अब यही कंपनी शहर में बिजली आपूर्ति का कार्य करेगी। बिजली विभाग को खरीदने की दौड़ में टाटा, अडानी समेत कई कंपनियां थीं लेकिन सीईएससी ने एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड नाम से सबसे बड़ी बोली लगाई थी।


175 करोड़ के चंडीगढ़ बिजली विभाग को खरीदने के लिए एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने लगभग 870 करोड़ की बोली लगाई थी, जिसे गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की ओर से 870 करोड़ में आखिरी मंजूरी दी गई। यूटी प्रशासन पिछले ढाई साल से चंडीगढ़ विभाग को निजी हाथों में देने का प्रयास कर रहा था। 4 अगस्त 2021 को प्रशासन ने वित्तीय बोली खोली थी।
9 अगस्त 2021 को प्रशासन की इंपावर्ड कमेटी ने एमीनेंट के नाम पर मंजूरी दी थी और 24 अगस्त को तत्कालीन प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने सहमति देकर प्रस्ताव को आखिरी मंजूरी के लिए कैबिनेट को भेज दिया था। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें चंडीगढ़ के बिजली विभाग को निजी हाथों में देने का प्रस्ताव रखा गया। कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूर कर दिया।
365 करोड़ के लाभ में था विभाग फिर भी प्रशासन ने बेचा
बिजली विभाग के कर्मचारियों ने निजीकरण का पुरजोर विरोध किया। कर्मचारियों ने कहा कि वर्ष 2020-21 में चंडीगढ़ बिजली विभाग का 365.11 करोड़ रुपये के लाभ में रहा है, इसके बावजूद इसे बेच दिया गया। श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस संबंध में सवाल भी पूछा कि जब विभाग लाभ में है तो क्यों बेचा जा रहा है। ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने लिखित में जवाब दिया कि निजी कंपनी बेहतर सुविधा देगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत ये फैसला लिया गया है।

टाटा-अडानी को पीछे छोड़ एमीनेंट ने अपने नाम किया टेंडर
चंडीगढ़ के बिजली विभाग को खरीदने की दौड़ में कुल सात कंपनियां थीं। इनमें एमीनेंट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के अलावा अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, टाटा पावर, टोरेंट पावर, स्टेरेलाइट पावर, रिन्यू विंड एनर्जी और एनटीपीसी इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी लिमिटेड शामिल थीं। चंडीगढ़ का अपना कोई बिजली उत्पादन नहीं है। इसलिए विभाग 3.26 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदने में हर साल 640 करोड़ रुपये खर्च करता है। शहर में इस समय 2.47 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से 2.14 लाख लोग घरेलू बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि अन्य कामर्शियल, स्मॉल पावर, पब्लिक लाइटिंग और कृषि के कनेक्शन हैं।

वर्षों से नही बढ़े बिजली के दाम, निजीकरण के बाद हो सकती है बढ़ोतरी
विभाग के कर्मचारियों का मानना है कि बिजली के निजीकरण का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ेगा। निजीकरण होने के बाद बिजली के दाम बढ़ भी सकते हैं, क्योंकि पिछले कई साल से शहर में बिजली के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। पिछले साल प्रशासन ने दामों में कटौती की थी। बता दें कि यूटी प्रशासन ने वर्ष 2019 में बिजली विभाग को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया शुरू की थी।

वर्ष 2020 में कोरोना ने दस्तक दी तो प्रक्रिया की रफ्तार थम गई। इसके बाद 9 नवंबर 2020 को प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग ने इच्छुक कंपनियों से आवेदन मांगे थे। मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलते ही प्रशासन ने वित्तीय बोली को खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी।