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आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में , श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और निहत्थी सिख संगत पर गोलियां चलाने की दर्दनाक घटनाएं फिर से बनेगीं चुनावी मुद्दा

मान्यवर:-आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी और निहत्थी सिख संगत पर गोलियां चलाने की दर्दनाक घटनाएं फिर से चुनावी मुद्दा बनेगीं। 2015 में घटी इन दर्दनाक घटनाओं में सात साल बाद भी संगत इंसाफ के लिए तरस रही है। इन सात सालों में आयोग से लेकर सीबीआई और एसआईटी के बार बार गठन के बावजूद इंसाफ नहीं मिला। पंजाब पुलिस की एसआईटी ने पिछले साल अपनी जांच में बरगाड़ी बेअदबी के लिए डेरा सच्चा सौदा सिरसा के 10 अनुयायियों को आरोपी ठहराया था और इस केस की जांच सीबीआई के पास होने के चलते अपनी रिपोर्ट सीबीआई को सौंप दी थी लेकिन सीबीआई ने अपनी जांच के बाद पंजाब पुलिस की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है और बेअदबी मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी।

 लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार द्वारा एडीजीपी प्रबोध कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया, जिसके वरिष्ठ सदस्य आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह, एसएसपी कपूरथला सतिंदरपाल सिंह व एसपी फाज्लिका अभूपिंदर सिंह रहे। एसआइटी के सदस्य कुंवर विजय प्रताप सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल समेत घटना से संबंधित कई पुलिस अधिकारियों व शिअद नेताओं से पूछताछ की। हाईकोर्ट की दखल पर कुंवर विजय प्रताप को एसआईटी से हटा दिया गया। इतना ही नहीं कोटकपूरा फायरिंग में दर्ज मामला भी रद्द कर दिया गया। हाईकोर्ट ने दोबारा एसआईटी का गठन कर मामले की जांच नए सिरे से जांच के आदेश जारी कर रखे हैं। 12 अक्तूबर 2015 को गांव बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप की बेअदबी करने का मामला सामने आया था। इस घटना से सिख संगत में व्यापक स्तर पर रोष फैल गया था। इसके खिलाफ प्रदेश भर में जगह जगह रोष प्रदर्शन हुए और राज्य की सभी मुख्य सड़कों पर चक्का जाम कर दिया गया।

लोगों में इस बात को लेकर रोष था कि बेअदबी की घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों ने घटना से करीब साढ़े तीन माह पहले एक जून 2015 को बरगाड़ी से सटे गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से पावन ग्रंथ का स्वरूप चोरी किया और इसके बाद 24-25 सितंबर 2015 की रात को गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में ही गुरुद्वारा साहिब के बाहर अश्लील शब्दावली वाला पोस्टर लगाकर पुलिस प्रशासन व सिख संगत को चुनौती दी थी। पुलिस पावन ग्रंथ की चोरी व पोस्टर लगाने के मामलों का कोई सुराग नहीं ढूंढ पाई और पोस्टर लगाने की घटना के 18 दिन बाद ही बरगाड़ी में पावन ग्रंथ की बेअदबी कर दी गई। इस मामले में उस समय और ज्यादा तूल पकड़ लिया जब 14 अक्तूबर 2015 को बरगाड़ी से ही सटे गांव बहिबल कलां में बेअदबी मामले को लेकर सिख संगत के शांतिपूर्ण धरने को जबरन उठाने के लिए पुलिस ने सीधी फायरिंग कर दी जिसमें दो सिख नौजवानों गांव नियामीवाला के किशन भगवान सिंह और गांव सरावां के गुरजीत सिंह की मौत हो गई।

उसी दिन बहिबल कलां से पहले कोटकपूरा के मुख्य चौक में भी चल रहे रोष धरने को पुलिस ने बल उपयोग करते हुए उठवाया और पुलिस के लाठीचार्ज व फायरिंग से करीब 100 लोग घायल हुए। तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 15 अक्तूबर को केस की जांच के लिए पंजाब पुलिस के डायरेक्टर ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन इकबालप्रीत सिंह सहोता की अध्यक्षता में एसआईटी बनाने और पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस जोरा सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया। 16 अक्तूबर को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने 14 अक्तूबर की घटनाओं के संदर्भ में पुलिस की तरफ से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने का एलान किया। पंजाब पुलिस की तरह उसकी एसआईटी भी आरोपियों को पकड़ने में नाकाम रही। हालांकि एसआईटी ने 20 अक्तूबर 2015 को सिख जत्थेबंदियों से जुड़े गांव पंजगराईं खुर्द से संबंधित दो भाईयों को केस में शामिल होने के आरोपों के तहत पकड़ा लेकिन कई दिन रिमांड में रखने के बाद भी वह उनके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर पाई। आखिरकार उन्हें केस से डिस्चार्ज करना पड़ा।

आयोग ने बरगाड़ी बेअदबी मामले से संबंधित घटनाओं समेत राज्य की घटित बेअदबी की सभी घटनाओं की जांच करने के बाद 16 अगस्त 2018 को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी। इस रिपोर्ट को पंजाब सरकार ने 27 अगस्त 2018 को पंजाब विधानसभा में पेश कर दिया था। जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट आने के बाद 28 अगस्त 2018 को पंजाब विधानसभा ने प्रस्ताव पारित करके बेअदबी मामले की जांच सीबीआई से वापस लेने की घोषणा कर दी थी जिसका 6 सितंबर 2018 को नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया था।बरगाड़ी बेअदबी की घटना सामने आते ही हजारों की तादाद में सिख संगत बरगाड़ी पहुंच गई और पावन ग्रंथ के खंडित पन्नों को साथ लेकर उसी दिन कोटकपूरा के मुख्य चौक में बेमियादी धरना शुरू कर दिया गया था। 14 अक्टूबर की सुबह पुलिस ने लाठी व गोली का प्रयोग करते हुए इस धरने को जबरन उठवाया जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। कोटकपूरा में धरना उठवाने के बाद बरगाड़ी से सटे गांव बहिबल कलां में रोष धरने पर बैठी सिख संगत पर भी पुलिस द्वारा फायरिंग की गई जिसमें गांव सरावां के गुरजीत सिंह व गांव नियामीवाला के किशन भगवान सिंह की मौत हो गई थी।

शहीद दोनों सिख नौजवानों के परिवारों समेत घायल अभी इंसाफ की राह ताक रहे है। हालांकि बहिबल गोलीकांड मामले में तो 21 अक्टूबर 2015 को थाना बाजाखाना में अज्ञात पुलिस पार्टी पर हत्या का केस दर्ज किया गया था लेकिन कार्रवाई कोई नहीं की गई थी। केस में पूर्व एसएसपी चरणजीत सिंह शर्मा और कोटकपूरा गोलीकांड में पूर्व एसएसपी चरनजीत सिंह शर्मा के अलावा शिअद के पूर्व विधायक मनतार सिंह बराड़, आईजी परमराज सिंह उमरानंगल, एसपी बलजीत सिंह, एसपी परमजीत सिंह पन्नू, एसआई गुरदीप सिंह पंधेर को नामजद किया गया लेकिन हाईकोर्ट ने झटका देकर कोटकपूरा केस ही खारिज कर दिया। अब हाईकोर्ट के आदेशों पर दोबारा एसआईटी का गठन किया जा चुका है जो केसों की बारीकी से जांच कर रही हैं। देश विदेशों में बसी सिख संगत बेअदबी व गोलीकांड में इंसाफ की उम्मीद है।

आप के पंजाब प्रभारी जरनैल सिंह का कहना है कि 2017 में श्री गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी बड़ा मुद्दा था और इस बार भी रहेगा। पहले अकाली भाजपा दोषी थी अब कांग्रेस दोषी है। अगर इंसाफ नहीं मिला तो जनता व आम आदमी पार्टी चुनावों में इस मुद्दे पर जवाब मांगेगी  क्योंकि पहले अकाली दल भाजपा ने अब कांग्रेस ने पांच साल गुमराह किया है। चुनाव में तीन माह के करीब का समय बचा है लेकिन पीपीसीसी प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू बेअदबी व गोलीकांड में अपनी सरकार को ही घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लगातार ट्वीट कर इस मुद्दे को उठाकर चल रहे हैं।  अकाली दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री डॉ दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि कांग्रेस ने पिछले चुनावों में लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया था। पांच साल किया कुछ नहीं है सिर्फ लोगों के साथ झूठ बोला गया। चुनावों में अकाली दल मांग करेगा क्योंकि अकाली दल की सरकार के समय जो आयोग व एसआईटी बनी थी, उसको उलटा कांग्रेस ने खत्म कर रिपोर्ट को दरकिनार किया है। बेअदबी के केसों में इंसाफ तो मिलना ही चाहिए।