मान्यवर:-सोनीपत में पिछले एक साल से चल रहा किसान आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। गुरुवार को आधिकारिक पत्र मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। इसके बाद गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 11 दिसंबर को किसानों की वापसी हो जाएगी।
11 को ही विजय दिवस मनाया जाएगा। 13 दिसंबर को किसान श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने जाएंगे। 15 जनवरी को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की समीक्षा बैठक होगी। चढ़ूनी ने एलान किया कि अब किसी भी पार्टी या उद्योग का बहिष्कार नहीं किया जाएगा। किसान आंदोलन में बंद पड़े टोल भी खोल दिए जाएंगे।
वहीं इससे पहले पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने बैठक कर कहा है कि 11 तारीख को उनकी आंदोलन से वापसी हो जाएगी। 15 तक सभी टोल से धरना हटा लिया जाएगा। लगातार खींचतान, मैराथान बैठकों की दौर के बाद आखिर किसानों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी।
लंबित मांगों को माने जाने के प्रस्ताव को सुधार के साथ सरकार ने बुधवार को मोर्चा की कमेटी के पास भेजा था। कमेटी ने प्रस्ताव के सभी बिंदुओं पर मोर्चा की कुंडली बॉर्डर पर चली बैठक में रखा, जिस पर सभी किसान नेताओं ने हामी भर दी। एसकेएम की 5 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों गुरनाम सिंह चढूनी, शिवकुमार कक्का, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल व अशोक धवले ने पत्रकारवार्ता कर इसकी जानकारी दी थी।
किसानों व सरकार के बीच सहमति बनने के बाद कुंडली बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक चल रही है, जिसमें आंदोलन वापसी का निर्णय लिया जा सकता है। वहीं, बॉर्डर पर सालभर से धरनारत किसानों ने अपना सामान, तंबू व झोंपड़ियां समेटने शुरू कर दिए हैं।
किसानों का कहना है कि वे मोर्चा के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। आदेश मिलते ही यहां से खुशी-खुशी अपने घरों को रवाना होंगे। इससे पहले कुंडली बॉर्डर पर सबसे पहले मोर्चा द्वारा गठित 5 सदस्यीय कमेटी की बैठक हुई। फिर मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी ने बैठक की और अब संयुक्त किसान मोर्चा के सभी सदस्यों की बैठक शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि आज मोर्चा आंदोलन वापसी या स्थगित किए जाने का निर्णय ले सकता है। किसान मोर्चों से किसानों की वापसी की प्रक्रिया दो-तीन दिन चलने की उम्मीद है। सामान पूरी तरह से समेटने में 24 से 36 घंटे का समय लग सकता है। कई जगह पर पक्के निर्माण भी किसानों ने बना लिए थे, जिन्हें खुद ही गिरा कर जाने का वायदा किसानों ने किया था।
आखिरकार सरकार के साथ सभी मांगों पर किसानों की सहमति बन ही गई। 5 सदस्यीय कमेटी के गठन के बाद इसका रास्ता बन गया था। सरकार ने लगातार कमेटी से संपर्क बनाए रखा और सभी मांगों के हर बिंदु पर मंथन हुआ। सरकार ने सकारात्मक रवैया दिखाया तो किसानों के तेवर भी नरम पड़ गए। एमएसपी पर कमेटी को लेकर मोर्चा की शर्त को मान लिया गया तो वहीं हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापस लेने पर सहमति जता दी है। वहीं, सरकार की मांग पर किसानों ने लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री की बर्खास्तगी से संबंधित मांग को प्रस्ताव से हटा लिया था।