मान्यवर:-विपक्ष के 12 सांसदों के निलंबन को लेकर राज्यसभा में गतिरोध जारी है। विपक्ष लगातार निलंबन वापसी की मांग कर रहा है। इस मामले में हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। संसद का मानसून सत्र 29 नवंबर से शुरू होने के बाद से राज्यसभा की कार्यवाही लगातार स्थगित होती रही है। वहीं, केंद्र सरकार की सहयोगी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने इस मुद्दे पर संसद के शेष मानसून सत्र में दोनों सदनों का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उधर, निलंबित सांसदों के समर्थन में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी उतर आए हैं।
मंगलवार सुबह सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद एनसीपी सांसद शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन सहित विपक्ष के कई सांसद धरना स्थल पर एकत्र हो गए। इससे पहले राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार को तीन बार स्थगित हुई। विपक्ष की ओर से नियम 267 के तहत दिए नोटिस को सभापति ने खारिज कर दिया और दोपहर दो बजे तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया। जिसके चलते शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका। दोपहर दो बजे शोर शराबे के बीच सदन की कार्यवाही शुरू हुई। उपसभापति ने सरकार की ओर से पेश दोनों बिलों पर चर्चा की बात कही, जबकि विपक्ष निलंबन वापसी की मांग पर अड़ा रहा।
करीब सात मिनट के बाद सदन की कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित कर दी गई। तीन बजे फिर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद सदन बुधवार तक स्थगित कर दिया गया। धरना के दौरान पार्टी के सभी सांसद सरकार विरोधी और किसानों के समर्थन में नारे लगा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के मुद्दे पर अड़ियल रुख अपना रही है। तमाम कवायद के बाद भी राज्य के साथ फसल खरीद को लेकर बात नहीं बन रही है। लोकसभा में पार्टी नेता नमा नागेश्वर राव ने कहा की वह राज्य के धान खरीद के मुद्दे को उठाते रहे हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्य से धान खरीद को लेकर किए वादे से मुकर रही है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को कहा कि सदन में व्यवधान के लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के 12 सांसदों का निलंबन गलत है। हमने सदन को चलाने की बहुत कोशिश की। सदन के नेता से भी मुलाकात की और सभापति से बार-बार विपक्ष ने आग्रह किया कि सांसदों का निलंबन केवल नियम 256 के तहत हो सकता है। लेकिन उसने नियमों की अनदेखी की और मानसून सत्र के मामले को में गलत तरीके से शीतकालीन सत्र में लाया गया।
द्रमुक के तिरुची शिवा ने कहा, हम शुरू से कह रहे हैं कि निलंबन का फैसला अलोकतांत्रिक है और नियमों के मुताबिक नहीं है। इसलिए हम इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा यह भी कहा कि सरकार एक तरह से यह आरोप लगाना चाहती है कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। लोकसभा में सभी दल चर्चा में शामिल हैं। राज्यसभा में सदस्यों के अधिकारों और संसद के सुचारू से चलाने के लिए लड़ रहे हैं। सिर्फ निलंबन रद्द करने से ही सदन चल सकता है।
समय पर फंड के भुगतान न करने की शिकायतों के बाद केंद्र सरकार 9 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही 44 मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी बंद करने जा रही है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि इनमें गुजरात की आदर्श क्रेडिट, चंडीगढ़ की सिल्वर फाइनेंस, झारखंड की रेन्बो सोसाइटी प्रमुख हैं। वहीं ओडिशा की 10, महाराष्ट्र की 9, राजस्थान की 8, दिल्ली की 7, यूपी की 4 व प. बंगाल की 3 सोसाइटी इस सूची में हैं। केंद्र सरकार ने पिछले तीन सालों में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर करीब 1700 करोड़ रुपये खर्च किए। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि सरकार ने 2018-19 से 20-21 में प्रचार-प्रसार के लिए 1698.98 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद दूर दराज इलाकों में रहने वाले लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे अवगत कराना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने समाचार पत्रों को 826.5 करोड़ के विज्ञापन दिए।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों का मामला उठाते हुए मंगलवार को लोकसभा में पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की। शून्य काल के दौरान राहुल ने इस मामले में सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कृषि कानून वापस लेकर अपनी गलती सुधारने के बाद अब प्रधानमंत्री को मुआवजा देकर प्रायश्चित भी करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने मृत किसानों की सूची भी पटल पर रखी। कांग्रेस सांसद ने कहा, देश जानता है कि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई। पंजाब सरकार ने करीब पांच सौ किसान परिवारों को मुआवजा दिया है। अब केंद्र सरकार को भी मानवीयता के आधार पर उचित मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए।