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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद , प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत ; नौकरी के लिए 1678 कश्मीरी विस्थापित लौटे कश्मीर

मान्यवर:-जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत नौकरी के लिए 1678 कश्मीरी विस्थापित कश्मीर लौटे हैं। यह जानकारी केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में दी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार की सूचना के मुताबिक 370 निरस्त होने के बाद 150 आवेदकों को जमीन बहाल हुई है। प्रवासी हिंदुओं की पैतृक संपत्ति की बहाली के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। कश्मीरी विस्थापित अचल संपत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत संबंधित डीएम विस्थापितों की अचल संपत्ति के कानूनी कस्टोडियन हैं। इन्हें अतिक्रमण से संबंधित मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का अधिकार है।

इसके साथ ही विस्थापित स्वयं भी डीएम से अनुरोध कर सकते हैं। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विपक्ष के 12 सांसदों के निलंबन को न्यायोचित बताते हुए मंगलवार को इसे वापस लेने से इनकार कर दिया। हालांकि सरकार ने कहा, सांसद सदन में देश से माफी मांग लें तो निलंबन वापसी पर विचार हो सकता है। नायडू के इस फैसले के बाद कांग्रेस तथा कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वाकआउट किया। यही नहीं लोकसभा में भी कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने इस मुद्दे पर हंगामा किया, जिसके कारण सदन को पहले दो बजे तक, फिर तीन बजे तक और अंत में पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

राज्यसभा में नायडू ने कहा, संसद के पिछले सत्र में अपनी शर्मनाक हरकत के लिए इन सांसदों ने किसी तरह का अफसोस नहीं जताया। प्रस्ताव पेश हुआ, इसे मंजूरी मिली और कार्रवाई की गई, यह फैसला अंतिम है। सभापति ने सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा इन सांसदों का निलंबन वापस लेने का अनुरोध खारिज करते हुए ये बात कही। नायडू के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, आप, राजद तथा वाम दलों के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि इससे अप्रभावित नायडू ने शून्यकाल की कार्यवाही शुरू करा दी। तब इन दलों के सांसद सदन से बहिर्गमन कर गए। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने पर खरगे ने संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा सोमवार को पेश 12 सांसदों को निलंबित करने के प्रस्ताव को नियमों की घोर अवहेलना बताया। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में हुई कथित ‘नियमविरुद्ध’ घटना के लिए इस सत्र में कार्रवाई की गई है। नियम कहता है कि किसी सदस्य के निलंबन का प्रस्ताव लाने से पहले आसन को उस सदस्य का नाम पुकारना होता है।

सोमवार को निलंबित 12 सदस्यों के मामले में इस नियम का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा, निलंबन के प्रस्ताव के दौरान आसन ने उन्हें व्यवस्था का सवाल उठाने की इजाजत भी नहीं दी। ये स्थापित परंपराओं के खिलाफ है। खरगे के पिछले और इस सत्र वाली आपत्ति को नायडू ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सदन ‘लगातार चलने वाली संस्था’ है और सदन के सभापति को नियम 256, 259 और 266 के तहत नियमविरुद्ध कार्य करने वाले सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है। सदस्यों का नाम नहीं पुकारे जाने के बारे में उन्होंने कहा कि 10 अगस्त को पिछले सत्र के दौरान जब सांसदों ने हंगामा किया था, तभी आसन ने नाम पुकारे थे। इसे रिकॉर्ड से चेक किया जा सकता है। संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के गतिरोध और हंगामों के बीच पूर्व पीएम व जद-एस संस्थापक एचडी देवेगौड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मौके पर मोदी कुर्सी बढ़ाकर 88 वर्षीय देवेगौड़ा से बैठने का आग्रह करते हुए।

 कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ अहम बैठक की। बैठक में तय हुआ कि सरकार विपक्ष के सामने माफी मांगने और बुधवार को इस मुद्दे पर बातचीत का प्रस्ताव रखे। लोकसभा की कार्यवाही इस मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गई। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के कई सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही पहले दो बजे, फिर तीन बजे और फिर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। इस साल 25 नवंबर तक फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) स्कीम के दूसरे चरण में करीब 1.65 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों को सरकारी सहायता मिली है। मंगलवार को भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने लोकसभा में बताया, फेम2 के अंतर्गत इन वाहनों को 564 करोड़ रुपये का मांग प्रोत्साहन  दिया गया है।  उन्होंने कहा, स्कीम के तहत विभिन्न राज्यों/शहरों को 6,315 इलेक्ट्रिक बसें स्वीकृत कर दी गई हैं।

 फेम के पहले चरण के नतीजों और अनुभव के आधार पर सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता के साथ एक अप्रैल 2019 से पांच साल के लिए इसका दूसरा चरण शुरू किया था। मंत्रालय ने 25 राज्य-केंद्र शासित प्रदेशों के 68 शहरों में 500 करोड़ रुपये की लागत वाले 2,877 ईवी चार्जिंग स्टेशन भी स्वीकृत किए हैं। नई दिल्ली में राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (एनएपी) के अंतर्गत होने वाले वृक्षारोपण के लिए सरकार ने 37 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि को मंजूरी दी है। पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया, मंत्रालय देश में वन और वृक्ष आवरण बढ़ाने के सतत प्रयास करता आया है और इस दिशा में वृक्षारोपण गतिविधियों की कई पहल शुरू हुई हैं। मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, बीते तीन साल में एनएपी के तहत 37,110 हेक्टेयर जमीन स्वीकृत की गई है। साथ ही मंत्रालय ने हरित भारत मिशन (जीआईएम) में एनएपी के विलय को भी मंजूरी दी है। इसके बाद इस योजना का बजट पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बढ़ाकर 220 करोड़ कर दिया गया है।