मान्यवर:-मेरठ में होटल अल रशीद प्रकरण में पिछले डेढ़ साल से फरार चल रहे मुख्य आरोपी कादिर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में इंस्पेक्टर प्रशांत कपिल सहित 12 पुलिसकर्मियों का एक माह का वेतन काटने की संस्तुति की गई है। तत्कालीन एसपी सिटी के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है। उधर, चार आरोपियों को पुलिस पहले जेल भेज चुकी है। लिसाड़ीगेट थाने से मामला कोतवाली थाने में स्थानान्तरित किया गया था, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तारी की कार्रवाई की है।
लिसाड़ीगेट थाना क्षेत्र के भूमिया का पुल पर हाजी आफाक का अल रशीद होटल है। वर्ष 2015 में इस होटल में हाजी कादिर मुंशी का काम देखता था। लॉकडाउन के चलते होटल बंद हो गया। गत वर्ष हाजी आफाक ने होटल का कुछ हिस्सा तोड़कर यहां कॉम्प्लेक्स तैयार करने का काम शुरू किया। इसी दौरान कादिर ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर दुकान पर कब्जे का प्रयास किया।
उसने पुलिस से साठगांठ करते हुए आफाक और उनके बेटो के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने आफाक को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। जमानत पर बाहर आने के बाद आफाक ने पुलिस अफसरों तक अपनी आवाज पहुंचाई। वह एडीजी से मिला और उनको मामले की पूरी सच्चाई बताई।
इसके बाद मामले की जांच की गई, जिसमें आफाक के आरोप सही पाए जाने पर कादिर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। इस बीच कादिर फरार हो गया और न्यायालय से अग्रिम जमानत ले आया। आफाक ने फिर दोबारा पुलिस पर कादिर के पक्ष में कार्रवाई का आरोप लगाया और जानलेवा हमले की धारा बढ़ाने की पैरवी शुरू की। बताया जाता है कि कादिर की पुलिस के साथ अच्छी सेटिंग थी, जिसके चलते धारा नहीं बढ़ सकी। आरोप है कि पुलिस ने कादिर को होटल पर कब्जा भी करा दिया।
पुलिस पर कादिर के पक्ष में कार्रवाई करते हुए आफाक ने अल्पसंख्यक आयोग में शिकायत कर दी। आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया और जिलाधिकारी को जांच कराने के आदेश दिए। जिलाधिकारी ने मामले की जांच एडीएम को सौंपी, जिसमें तत्कालीन एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह, इंस्पेक्टर प्रशांत कपिल और 11 पुलिसकर्मियों दरोगा अजय शर्मा, दरोगा दुर्गेश सिंह, महिला दरोगा रंजीता सिंह, दरोगा बिजेंद्र शर्मा, हेड कांस्टेबल गय्यूर अली, सिपाही हरिओम गौतम, अंकित, मोनिका, मुनाजिर हुसैन, कुलदीप, अनुज पर लगे आरोपों की पुष्टि हो गई।