मान्यवर:-दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राकेश अस्थाना और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई की। दिल्ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एनजीओ CPIL की याचिका को खारिज कर दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया था। हाईकोर्ट ने बताया था कि अस्थाना की नियुक्ति कानून के मुताबिक है। जिसके बाद एनजीओ ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
डी वाई चंद्रचूड़ और एस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र और राकेश अस्थाना को नोटिस जारी कर दो हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है। इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अस्थाना के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करेंगे।
राकेश अस्थाना गुजरात काडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह, सीबीआई और सीमा सुरक्षा बल में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर के पद पर रहते हुए राकेश अस्थाना और सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद सरकार ने दोनों को पद से हटा दिया था।
कुछ समय बाद राकेश अस्थाना की नियुक्ति बीएसएफ महानिदेशक के तौर पर हुई, लेकिन 31 जुलाई को सेवानिवृति से महज चार दिन पहले 27 जुलाई को उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल एक साल का होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को सुनवाई की थी तब कोर्ट ने प्रशांत भूषणको हाई कोर्ट के फैसले के आधार पर नई याचिका दाखिल करने की इजाजत दी थी। जिसपर भूषण ने शीर्ष कोर्ट के सामने नई याचिका दायर की।
बता दें कि जिस वक्त राकेश अस्थाना की नियुक्ति हुई थी उसी समय सुप्रीम कोर्ट में अस्थाना के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी । उस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में भी इस मसले पर एक अर्जी लगाई गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले हाई कोर्ट में सुनवाई हो जाए इसके बाद हम सुनवाई करेंगे। दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि राकेश अस्थाना के रिटायर्ड होने से ठीक पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था। इसे नियमों का उल्लंघन बताया गया और उनकी नियुक्ति रद्द करने की अपील की गई थी।