हाल ही में त्रिपुरा में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्थिति नियंत्रण में आने के बाद त्रिपुरा पुलिस ने हिंसा के बारे में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट से कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के चार वकीलों को गिरफ्तार कर लिया था। इनके खिलाफ सख्त यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसी मामले में दो वकीलों- मुकेश कुमार, अंसारुल हक अंसारी और एक पत्रकार- श्याम मीरा सिंह ने यूएपीए के कठोर प्रावधानों के तहत दर्ज आपराधिक मामले रद्द करने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही उनकी याचिका पर सुनवाई पर सहमति जता दी थी।
गौरतलब है कि त्रिपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के पूजा स्थलों के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय के वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत 102 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
पड़ोसी बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा में रैली निकाली थी। इसी दौरान हालात बिगड़ गए और आगजनी, लूटपाट और हिंसा की घटनाएं हुईं। कुछ रिपोर्ट्स में तो यहां तक सामने आया था कि एक मस्जिद में तोड़फोड़ के साथ कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। हालांकि, पुलिस ने ऐसी घटनाओं को नकार दिया था।