मान्यवर:-परिवहन विभाग की टैक्स वसूली के विरोध में पंजाब के निजी बस आपरेटर उतर चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार की लोक लुभावन योजनाओं से उन्हे घाटा हो रहा है। उन्होंने बसों के रख रखाव का समय चार दिनों के बजाय आठ दिन किए जाने सहित कई मांगों को सरकार के सामने रखा है। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में पंजाब मोटर यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि परिहवन सेक्टर सरकार को राजस्व प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण सेक्टर है।
इसके जरिए सवा लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है लेकिन कुछ सालों से यह सेक्टर लगातार घाटे में जा रहा है। कोरोना ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है। कोरोना के शुरूआत में डीजल जहां 63 रुपये प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध था। वहीं अब इसकी कीमत 94 रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इसके अतिरिक्त पंजाब सरकार की कुछ लोक लुभावन नीतियां भी निजी बस ऑपरेटरों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं।
मिसाल के तौर पर हाल ही में पंजाब सरकार ने महिलाओं के लिए बस सेवा बिल्कुल मुफ्त कर दी है। पंजाब सरकार के इस फैसले से सरकार की लोकप्रियता भले ही बढ़ी होगी लेकिन बस ऑपरेटरों के लिए यह कदम संपूर्ण विनाश लेकर आया है। यूनियन के सचिव राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि जहां डीजल की कीमतें 32 रुपये बढ़ गई हैं वहीं किराये में एक बार भी वृद्धि नहीं की गई है। इसका खामियाजा न केवल निजी क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है बल्कि सरकार की अपनी बसों का घाटा भी निरंतर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि 31 मार्च 2022 तक टैक्स को माफ कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार आज के दिन 2.69 पैसे प्रति लीटर के दर से मोटर व्हीकल टैक्स वसूल रही है | जिसे बड़ी आसानी के साथ कम किया जा सकता है | क्योंकि डीजल के दाम बढऩे से सरकार को वैट में 2.27 पैसे प्रति किलोमीटर का फायदा हो रहा है। बस आपरेटर सोशल सिक्योरिटी सेस को समाप्त किये जाने और एमनेस्टी स्कीम को 31 मार्च 2022 तक बढ़ाये जाने की मांग भी कर रहे हैं। बाजवा ने मांग की है कि बसों की रख रखाव के लिए दिये गये चार दिनों के समय को आठ दिन किया जाए। इस वक्त जो मोटर व्हीकल टैक्स लम-सम वसूला जा रहा है, उसे भी मौजूदा स्थिति के मद्देनजर कम किया जाए।