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फर्जी वैक्सीन घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने कोलकाता में 10 स्थानों पर की छापेमारी

मान्यवर:-फर्जी वैक्सीन घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में 10 स्थानों पर छापेमारी की है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल कोविड से संबंधित छह अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। इनमें दवाओं और वैक्सीन की जमाखोरी, कालाबाजारी या नकली दवाओं की आपूर्ति के मामले शामिल थे। ईडी ने अब तक इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त या मदद करने वाले कई लोगों को अब तक तलब किया है और उनसे पूछताछ की है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में फर्जी कोरोना वैक्सीनेशन कैंप के मामले में फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब को पुलिस ने पकड़ा था और जब पूछताछ हुई तो कई हैरान करने वाले खुलासे भी हुए। आरोपी ने पुलिस को बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन कैंप में कोविशील्ड की जगह निमोनिया की वैक्सीन लगाई जा रही थी। देबांजन देब के कई टीएमसी नेताओं से संपर्क की बात कही गई जिसकी जांच भी हो रही है।

पुलिस के मुताबिक आरोपी देबांजन देब कोविशील्ड के ग्राफिक्स को प्रिंट करके वैक्सीन पर लगाता था। यह भी पता चला है कि पिछले साल देबांजन ने सैनेटाइजर का कारोबार शुरू किया था। वो सैनेटाइजर भी नकली निकला था। देबांजन चार से पांच बार कैंप लगाकर करीब दो सौ लोगों को नकली वैक्सीन की डोज दे चुका है।

अधिकारियों के अनुसार एक निजी कंपनी ने 172 कर्मचारियों के टीकाकरण के लिए देब को करीब 1.2 लाख रुपए देने का दावा करते हुए कसबा पुलिस थाना में एक शिकायत दर्ज कराई थी। दूसरी शिकायत एक ठेकेदार ने दर्ज करायी जिसने एक स्टेडियम के निर्माण को लेकर निविदा के लिए उसे 90 लाख रुपये देने का दावा किया। वहीं तीसरी शिकायत एक दवा कंपनी ने दर्ज कराई है जिसने निविदा के लिए देब को चार लाख रुपये भुगतान करने का दावा किया है।