कॉलेज के एतिहास के बारे में दी जानकारी
जालंधर(मान्यवर) :- लायलपुर खालसा कालेज की तरफ से लफ्जों की दुनिया साहित्य सभा की तरफ से ‘ एतिहासिक पैड़ां ‘ बैनर के तले ऑनलाइन समारोह का आयोजन किया गया। इसमें प्रिंसीपल डॉ. गुरपिंदर सिंह समरा मुख्य मेहमान थे। पोस्ट ग्रैजुएट पंजाबी विभाग के हैड डा. गोपाल सिंह बुट्टर प्रमुख वक्ता थे।
प्रिंसीपल डॉ. समरा ने इस प्रोग्राम को बनाने के लिए प्रबंधकों का धन्यवाद किया। उन्होंने लायलपुर खालसा कालेज की उस समय जरूरत और विलक्षणता संबंधी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस संस्था की स्थापना 1908 में जिला लायलपुर पाकिस्तान में हुई थी। इसका नींव पत्थर संत अतर सिंह जी मसतूआना ने रखा था। उन्होंने कहा कि पंथ रतन मास्टर तारा सिंह जी इस के पहले हैडमास्टर बने और बिना वेतन सेवा निभाते रहे। इस सैक्लुर संस्था की नींव भी सैकुलर वातावरण में रखी गई जोकि आज भी बढ़ फूल रही है।
डॉ. गोपाल सिंह बुट्टर ने इस संस्था के स्कूल से 1926 में कालेज बनने और फिर 1948 में जालंधर में स्थापित होने बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1948 से अब तक इस संस्था ने उच्च दर्जे के एकैडमीशन, कलाकार, खिलाड़ी और साहित्यकार पैदा किए हैं। इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएट पंजाबी विभाग के एतिहासिक परिपेक्ष भी समझाए। इस लाइव प्रोग्राम में एतिहासिक तस्वीरों की स्क्रीन शेयरिंग डॉ. सुरिंदरपाल मंड ने की। कालेज बारे कुछ एतिहासिक तत्थ भी सांझा किए। इस मौके पर पंजाबी विभाग के प्रो. डा. हरजिंदर सिंह, डॉ. सुखदेव सिंह नागरा और प्रो. कुलदीप सोढी ने भी कालेज के इतिहास बारे बताया।