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Jallianwala Bagh

Jallianwala Bagh Massacre – जलियांवाला बाग हत्याकांड को हुए 102 साल पूरे

आज के दिन खेली गई थी खून की होली

Jallianwala Bagh

मान्यवर :- हम जब जब भारत की स्वतंत्रता के लिए कुर्बान हुए लोगों को याद करते हैं तब हमारे जहन में जलियांवाला बाग की याद ताजा हो जाती है | 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में जो कुछ हुआ था हम सिर्फ उसकी कल्पना कर सकते हैं लेकिन ना जाने कितने लोगों ने इस दिन कितने अपनो को खोया था | इस दिन अंग्रेजों ने निहत्थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियों की बारिश की थी | इसलिए ये दिन हमेशा भारत के इतिहास में जिंदा रहेगा | वहीं आज इस घटना के भले 102 साल पूरे हो चुके हों लेकिन इसकी याद आज भी कई आंखों को नम कर जाती है। जानकारी के मुताबिक अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। वहीं अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 1000 से ज्यादा थी। बतादें कि इस घटना के बाद से भारत में ब्रिटिशर्स और उनके सामान का बहिष्कार होने लगा था।

कुएं में कूदे थे लोग

जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक शांति सभा रखी गई थी, जिसमें जनरल डायर के एक ऑफिसर ने उस सभा में मौजूद लोगों को रोकने के लिए उन पर गोलियां चलवाई थी | जिसके चलते कई लोग अपनी जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए थे लेकिन कुछ देर में कुएं में भी लाशों के ढेर बिछने शुरू हो गए थे और जलियांवाला बाग चंद मिनटों में एक श्मशान घाट में तब्दील हो गया था | इस दौरान करीब 1650 राउंड गोलियां चलाई गई थी |

उधम सिंह ने की थी जनरल डायर की हत्या

जलियांवाला बाग हत्याकांड में मौजूद रहे उधम सिंह ने 21 साल बाद साल 1940 में जनरल डायर को लंदन में गोली मारकर बदला लिया था, लेकिन लंदन कोर्ट ने उन्हें इसके बदले फांसी की सजा सुनाई थी | जिसके बाद भारतीयों में आजादी की आग और तेज हो गई थी और फिर 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के शासन से आजाद हो गया था।

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