किसान आंदोलन को लेकर कही ये बात
मान्यवर :- राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन जारी है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री अपनी बात रख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत वैश्विक चुनौतियों से की। उन्होंने कहा कि हाल ही में विश्व ने कई चुनौतियों का सामना किया है। पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच। राज्य सभा में करीब 13-14 घंटे तक 50 से अधिक माननीय सदस्यों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इसलिए मैं सभी आदरणीय सदस्यों का हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोरोना महामारी फैली तो भारत के बारे में विश्व समुदाय और वैज्ञानिकों ने कई आशंकाएं जताई थी, लेकिन भारत ने इस महामारी से डटकर मुकाबला किया। इसका श्रेय किसी सरकार, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है, बल्कि भारत की जनता को जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे समय में भी किसी झोपड़ी में बैठकर दीपक जलाने वाली बूढ़ी महिला द्वारा दीपक जलाने का कुछ लोगों ने मजाक उड़ाया था। कोरोना काल में लोगों को एकजुट करने का प्रयास करना था, ऐसे समय में कुछ लोग राजनीति कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में चार लाख करोड़ का पेमेंट डिजिटली हो रहा है। भारत मोबाइल फोन निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा देश बना है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने जगह बनाई है। भारत अपने सामर्थ के साथ खड़ा है। अंतरिक्ष हो, एयर स्ट्राइक हो या सर्जिकल स्ट्राइक हो सबने भारत की प्रतिभा को देखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब सबसे पहले बार प्रधानमंत्री के रूप में साल 2014 में मैंने इस सदन में भाषण दिया था, जब मैंने कहा था कि हमारा लक्ष्य गरीबों का उद्धार करना है और आज भी हमारे लक्ष्य में गरीब का उद्धार है। हम अपने लक्ष्य से 6 साल बाद भी भटके नहीं है। पीएम मोदी ने इस दौरान अपनी सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का वर्णन किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तंज करते हुए कहा कि सदन में बहस के दौरान किसान आंदोलन पर बात की, लेकिन मूलभूत बात पर विपक्ष के किसी सदस्य ने अपनी बात नहीं रखी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में छोटे किसानों पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छोटो किसानों का कम जमीन में गुजारा नहीं हो पा रहा है। देश में ऐसे किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में छोटे किसानों संख्या तेजी से बढ़ते हुए 12 करोड़ तक पहुंच गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि क्या हमें देश के छोटे किसानों के बारे में नहीं सोचना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी यह सवाल उठाकर गए हैं, जिसका जवाब हमें जरूर देना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्जमाफी योजना का लाभ किसानों को कितना मिलता है, ये सभी जानते हैं कि कर्ज माफी किसानों की भलाई के लिए हैं या वोट बैंक के लिए है।
ऐसे में जब नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार का खिलाफ हमला बोल रहा है और किसान संगठन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं, तब सब यह जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिर अपने भाषण में क्या कहेंगे। सूत्रों के मुताबिक कृषि कानूनों पर सरकार फिर सख्त रूख अपना सकती है और किसान आंदोलन पर सियासत करने वाले विरोधी दलों को प्रधानमंत्री कड़ी नसीहत दे सकते हैं।
कांग्रेस ने जारी किया व्हिप
इससे पहले आज प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने सभी सदस्यों के लिए व्हिप जारी करते हुए सोमवार को राज्यसभा के स्थगित होने तक उपस्थिति रहने के लिए कहा है। गौरतलब है कि इस बजट सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही के पहले 6 दिन काफी लाभकारी रहे हैं। बीते 6 दिनों में राज्यसभा में 82.10 फीसद कामकाज हुआ। पिछले 3 दिनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा ही मुख्य कामकाज हुआ। इस दौरान इसमें 25 दलों के 50 सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया।
कृषि मंत्री ने विपक्ष को दिया था करारा जवाब
राज्यसभा में चर्चा के आखिरी दिन शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे विपक्ष को करारा जवाब दिया था। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि वे कृषि कानूनों को काला कानून बता रहे हैं, लेकिन ये नहीं बता रहे हैं कि आखिर इसमें काला क्या है। उन्होंने कहा था कि नए कृषि कानूनों को काला बता देने भर से बात नहीं बनेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि मैं बीते माह से किसानों से भी यही पूछ रहा हूं कि लेकिन न वहां जवाब मिला और न ही विपक्ष पास जवाब मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाद में ट्वीट कर कहा था कि कृषि मंत्री ने राज्यसभा में कृषि सुधार कानूनों से जुड़े हर मामले को लेकर विस्तृत जानकारी दी है और मेरा निवेदन है कि लोग उनका यह भाषण जरूर सुनें। वहीं रविवार को भी प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के हल्दिया में अपने भाषण में कहा था कि किसान के नाम पर कौन अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है और कौन उनकी परेशानी दूर करने के लिए काम कर रहा है, ये देश बीते 6 साल से अच्छी तरह से देख रहा है।