जानिए सालों से त्यागा है अन्न और नमक
मान्यवर :- संगम नगरी प्रयागराज में लगे माघ मेले में वैसे तो हज़ारों की संख्या में संत-महात्मा आए हुए हैं, लेकिन इनमे से शिवयोगी मौनी महाराज श्रद्धालुओं के बीच ख़ास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं | मौनी बाबा को लोग रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं | मौनी बाबा जब ग्यारह हज़ार रुद्राक्षों की मालाएं पहनकर मेले में निकलते हैं तो उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है | मौनी बाबा ने पिछले 44 सालों से अन्न-मीठे और नमक का भी त्याग कर रखा है | वह पिछले 30 सालों से रोज़ाना कम से कम ग्यारह हज़ार दीपक भी जलाते हैं |
सिर से कमर तक रुद्राक्ष ही रुद्राक्ष | रुद्राक्ष की एक-दो नहीं बल्कि तकरीबन पांच सौ मालाएं | कोई माला ग्यारह रुद्राक्ष की तो कोई इक्कीस-इक्यावन और एक सौ आठ रुद्राक्षों की | बाबा के शरीर पर तो रुद्राक्ष रहती ही है, इसके साथ ही करीब सौ माला वह अपने सिर पर भी बांधे रहते हैं | इनमे कई रुद्राक्ष एकमुखी हैं तो कई सोलह मुखी तक | ग्यारह हजार रुद्राक्ष का संकल्प करीब तीन साल पहले ही पूरा हो चुका है और अब वह इक्यावन हजार रुद्राक्ष धारण करने के लक्ष्य पर हैं | ग्यारह हजार से ज़्यादा रुद्राक्ष धारण करने वाले ये बाबा हैं शिवयोगी मौनी महाराज | मौनी बाबा अमेठी जिले के बाबूगंज कस्बे में स्थित परमहंस आश्रम के महंत हैं |
489 महायज्ञों का अनुष्ठान कर चुके हैं मौनी बाबा
मौनी महाराज उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा की खासियत यह है कि वह न तो खरीदे हुए रुद्राक्ष पहनते हैं और न ही किसी से मांगते हैं | वह सिर्फ वही रुद्राक्ष पहनते हैं, जो किसी संत या महापुरुष द्वारा उन्हें भेंट की जाती है | मौनी महाराज अपने इन रुद्राक्षों की रोज़ पूजा करते हैं | उन्हें मंत्रों से अभिसिंचित करते हैं और रुद्राक्ष धारण करने के नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं | सोलह मुखी रुद्राक्ष और सिर पर मालाओं से ऊपर सजा चांद के आधे आकार का मुकुट उन्हें कुछ दिनों पहले नेपाल नरेश ने भेंट किया था |
मौनी बाबा की पहचान सिर्फ रुद्राक्ष वाले बाबा तक ही सीमित नहीं हैं | वह पिछले 44 सालों से अन्न-नमक व मीठे का त्याग कर चुके हैं | वह सिर्फ शाम के वक़्त कुछ फल व दूसरे सामान खाकर एक वक़्त ही पानी भी पीते हैं | अन्न त्यागने का यह संकल्प उन्होंने तकरीबन 44 साल पहले देश की एकता-अखंडता व आतंकवाद के खात्मे के लिए लिया था | तीस साल पहले जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष व आंदोलन चल रहा था तो मौनी महाराज ने रोज़ाना कम से कम ग्यारह सौ दीपक जलाकर अनुष्ठान करने का संकल्प लिया था | राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक वह सवा चार करोड़ से ज़्यादा दीप जला चुके हैं | मंदिर निर्माण और देश की तरक्की के लिए वह अब तक 489 महायज्ञों का अनुष्ठान कर चुके हैं | मौनी बाबा अब तक 17 बार जल समाधि और 55 बार भू समाधि ले चुके हैं | वह साढ़े सोलह किलोमीटर से ज़्यादा की परिक्रमा लेटकर दंडवत कर चुके हैं |
12 सालों तक मौन धारण किया हुआ था
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है, लेकिन मौनी बाबा का अनुष्ठान अब भी जारी है | उनका कहना है कि अयोध्या के मंदिर में रामलला का दर्शन करने के बाद ही वह अपने संकल्प की पूर्णाहुति करेंगे | मौनी बाबा ने राम मंदिर के लिए ही 12 सालों तक मौन धारण किया हुआ था | मौन रहने की वजह से ही लोग उन्हें मौनी बाबा कहने लगे हैं | मौनी बाबा उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा खुद को शिवभक्त मानते हैं | उनका मानना है कि रुद्राक्षों के जरिये जिस दिन वह भगवान शिव के साक्षात दर्शन कर लेंगे, उस दिन काशी और मथुरा में भी मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो जाएगा |
शिवयोगी मौनी महाराज उर्फ़ रुद्राक्ष वाले बाबा माघ मेले में जहां भी जाते हैं, वहां उन्हें देखने वालों की भीड़ लग जाती है | कोई उनके साथ सेल्फी लेता है तो कोई तस्वीरें खिंचाता है | कोई उनके रुद्राक्षों के बारे में जानना चाहता है तो कोई उनके संकल्प के बारे में | कोई दर्शन करने के लिए उतावला नज़र आता है तो कोई आशीर्वाद पाने लिए | श्रद्धालुओं का कहना है कि रुद्राक्ष वाले मौनी बाबा से मिलकर वह निहाल हो जाते हैं | रुद्राक्ष वाले मौनी बाबा इस माघ मेले में श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं | यहां का माघ मेला ख़त्म होने के बाद वह हरिद्वार के कुंभ मेले के लिए रवाना हो जाएंगे |